करांची। शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले कह दिया था कि कश्मीर का मसला जब तक नहीं सुलझता तब तक वह भारत से बातचीत नहीं करेंगे। इसको कहते है बिन बात की बात। ऐसा लगता है जैसे भारत ने उनको बातचीत के लिए न्योता भेजा हो और वह इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हो।
अरे भाई कश्मीर मुद्दे पर भारत का रुख साफ है और आगे पाकिस्तान को वही करना भी पड़ सकता है। शहबाज शरीफ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उन्हें प्रशासनिक अनुभव है, लेकिन उनकी सरकार भी पीपीपी और अन्य दलों के समर्थन पर ही टिकी है।
उनके अंदर भी इमरान के विरुद्ध इतना गुस्सा है कि वह भी प्रतिशोध में विरोधी नेताओं के दमन की पाकिस्तानी परंपरा को आगे बढ़ा सकते हैं। आज पाकिस्तान में वहां का कोई भी पूर्व प्रधानमंत्री नहीं है। या तो वह विदेश में जाकर निर्वासित जीवन जी रहा है या उन्हें मार दिया गया।
इमरान भी अंतिम समय में यही समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके और मंत्रिमंडल के साथियों के विरुद्ध ना तो कोई मुकदमा किया जाए और न हीं उन्हें देश से निर्वाचित होना पड़े। उन्होंने पहले ही यह आशंका भी जता दिया है कि उन्हें जेल में डाला जा सकता है।
इमरान के शासनकाल में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जेल में डाले गए। एक औऱ पूर्व पीएम परवेज मुशर्रफ लंबे समय से निर्वासित जीवन ही जी रहे हैं। आम धारणा यही है कि उनके विरुद्ध न तो भ्रष्टाचार का कोई आरोप साबित होने वाला है न ही अपराध का। नवाज शरीफ के शासनकाल में बेनजीर भुट्टो को लंदन में निर्वासित जीवन जीना पड़ा। उनके पति आसिफ अली जरदारी और अन्य नेता जेल में बंद रहे।
यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी भी तब पीपीपी नेता के रूप में जेल में बंद रहे। हालांकि इस समय पाकिस्तान का न्यायालय जितना सक्रिय है, वह उसे देख कर पहली नजर में कोई अब इस बात की उम्मीद नहीं कर सकता है कि यदि सरकार ने इमरान और उनके साथियों के विरुद्ध गलत तरीके से कानूनी कार्रवाई की तो न्यायपालिका से उन्हें न्याय मिल सकता है।
वहां की न्यायपालिका की भूमिका भी हमेशा संदिग्ध रही है। खास बात यह कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अंतिम समय में भारत की विदेश नीति की प्रशंसा की थी तो वहां की एक नेता मरियम नवाज ने उन्हें सलाह देते हुए कहा था कि अगर ऐसा है तो उन्हें भारत में ही बस जाना चाहिए।
विपक्ष ने भ्रष्टाचार का आरोप सरकार पर लगाया तो उसकी जांच के लिए कदम उठाए जाएंगे और संभव है कि मुकदमा दर्ज हो। यदि इमरान खान गिरफ्तार नहीं होते हैं और संसद में विपक्ष के नेता में के रूप में उपस्थित रहते हैं तो पाकिस्तान की राजनीति में यह एक नई शुरुआत हो सकती है। क्योंकि अब तक किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री ने वहां विपक्ष में नेता की भूमिका नहीं निभाई है।