नई दिल्ली। पिछले दो साल से देश कोरोना महामारी से अभी उबर नहीं पाया है कि इसी बीच एक के बाद एक प्राकृतिक आपदाओं ने राज्यों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। एक ओर जहां देश के कई राज्यों में अतिशय वर्षा से बाढ़ की स्थिति बेकाबू हो गई है, वहीं उत्तर प्रदेश सहित देश के आठ राज्यों में सूखे से हाहाकार की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
यह मौसम का असन्तुलित स्वरूप है और इसका सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन है जिसके चलते कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ के हालात बन गए हैं। देश में अब तक कुल मानसूनी वर्षा सामान्य से 11 प्रतिशत ज्यादा हो चुकी है। लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड आदि राज्यों में जरूरत से काफी कम वर्षा हुई है जिसके कारण फसलों की बुआई प्रभावित है।
2022-23 के लिए खरीफ अभियान के तहत 13 जुलाई तक प्रदेश में 96.03 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा गया था लेकिन इस साल अब तक 42.41 लाख हेक्टेयर ही बुआई हो पाई है। इसका सबसे ज्यादा असर धान की बुआई पर पड़ा है। उत्तर प्रदेश में आगरा ही एकमात्र शहर है जहां सामान्य वर्षा दर्ज की गई है लेकिन प्रदेश के 19 जिले ऐसे हैं जहां अभी तक सामान्य से काफी कम वर्षा हुई है।
ललितपुर, फिरोजाबाद, खीरी, देवरिया, एटा और बिजनौर आदि में वर्षा का प्रतिशत काफी कम होने से सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यह उत्पादन को प्रभावित करेगा और महंगाई बढ़ाने में सहायक ही होगा। अभी समय रहते ही राज्यों को सूखे से निबटने के उपाय के लिए प्रशासनिक अमले की सक्रियता को बढ़ाना होगा, वहीं बाढ़ प्रभावितों की मदद में राज्यों को बड़े पैमाने पर राहत कार्य चलाए जाने की जरूरत है जिससे संकट में फंसे लोगों के जीवन को सुरक्षित किया जा सके। राज्य सरकारों को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।