आदिकवि श्री वाल्मीकि जी के ही अवतार हैं श्रीतुलसीदासजी: दिव्‍य मोरारी बापू

पुष्‍कर/राजस्‍थान। परम पूूूज्‍य संत श्री दिव्‍य मोरारी बापू ने कहा कि अनंतकोटि ब्रह्मांडाधिनायक करूणावरूनालय मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान् श्रीसीतारामजी अनादि हैं, उनका मंगलमय चरित्र भी अनादि और अनंत है। भूदेवी के रजकणों की एवं वारिधि के अंबुकणों की गणना अपनी प्रतिभा के प्रभाव से कर चुकने पर भी जगत में ऐसा कौन कवि-मनीषी है, जो भगवान् श्रीरामजी की शक्ति की, गुणों की, चरित्रों की, अवतारों की गणना कर सके। राम अनंत अनंत गुन अमित कथा बिस्तार। सुनि आचरजु न मानिहहिं जिन्ह कें बिमल बिचार।। राम अनंत अनंत गुनानी। जन्म कर्म अनंत नामानी।। जल सीकर महि रज गनि जाहीं। रघुपति चरित न वरनि सिराहीं।। उसी अनादि अनंत मंगलमय श्रीरामचरित्र का सर्वप्रथम कविताकानन कोकिल आदिकवि महर्षि श्रीबाल्मीकिजी ने ऋतंभरा प्रज्ञा से साक्षात्कार किया। मात्र साक्षात्कार ही नहीं किया अपितु लोक पितामह श्रीब्रह्माजी की कल्याणी आज्ञा से श्रीरामचरित्र का निर्माण भी किया। बंदउँ मुनि पद कंजु रामायन जेहिं निरमयउ। सखर सुकोमल मंजु दोष रहित दूषन सहित।। यह बात सर्वविदित है और लोक से तथा शास्त्र से प्रमाणित है कि महाकवि गोस्वामि श्रीतुलसीदासजी आदिकवि श्री वाल्मीकि जी के ही अवतार हैं। श्रीभविष्यपुराण में भगवान् शिव कहते हैं हे देवी! कलयुग में श्री वाल्मीकि जी श्री तुलसीदास होंगे। वे कल्याणी श्रीरामकथा की रचना लोक भाषा में करेंगे। महान् भागवत श्रीनाभाजी महाराज ने तो श्रीगोस्वामीजी को अपने भक्तमाल के सुमेरू के रूप में स्वीकार किया है। वे भी कहते हैं कि श्री तुलसीदासजी ने अपार संसार समुद्र संतरण के लिये श्रीरामचरित्र रूपी नौका का निर्माण किया। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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