हेल्थ। इस भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप के कारण देर तक बाहर रहना खतरे से खाली नहीं है विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस भीषण गर्मी से बचने की चेतावनी दी है। डब्ल्यूएचओ द्वारा बताया गया कि जब तापमान 40 से ज्यादा पहुंच जाता है तो हीट वेव का खतरा मंडराने लगता है। इसमें कमजोर लोगों को हीट स्ट्रोक लग जाता है। ज्यादा तापमान बढ़ने से शरीर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से खतरा बढ़ जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के वजह से इस तापमान का असर ज्यादा ही हो रहा है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार लगभग 1.25 अरब लोग किसी न किसी तरह से हर साल हीट वेव के शिकार हो जाते हैं।
डब्ल्यूएचओ द्वारा बताया गया कि बढ़ते तापमान का असर हर इंसान पर पड़ रहा है। लेकिन जो लोग मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े होते हैं, उनपर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है। इसके अलावा जो लोग बीमार हैं, जिन्हें तनाव ज्यादा है, उन्हें इसका असर सबसे ज्यादा हो सकता है।
किनको है ज्यादा खतरा
डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस बढ़ते तापमान का सबसे ज्यादा खतरा बच्चे, बुजुर्ग, प्रेग्नेंट महिलाएं और बीमार व्यक्तियों को है। इसके अलावा एथलीट और बाहर मजदूरी का काम करते हैं, उन्हें भी भीषण गर्मी से शरीर प्रभावित होने का खतरा है।
बॉडी को करता है प्रभावित
डब्ल्यूएचओ के अनुसार जब तापमान बढ़ जाता है तब बाहर का तापमान पहले से ही बढ़ा रहता है और इसके असर के कारण बॉडी के अंदर के तापमान में भी इजाफा होता है। इससे शरीर का मेटाबोलिक प्रोसेस पर असर पड़ता है। जब तापमान नॉर्मल से ज्यादा हो जाता है तो शरीर में तापमान को संतुलित करने की क्षमता कमजोर होने लगती है। इस कारण कई बीमारियों का असर एक साथ होने लगता है। जिसके वजह से हीट क्रेंप, हीट एक्जॉसेशन, हीट स्ट्रोक और हाइपरथर्मियां का खतरा बढ़ जाता है।
कौन-कौन बीमारियां हो सकती है
यदि ज्यादा तापमान हो जाता है तो व्यक्ति पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के असर होते हैं। अप्रत्यक्ष रूप से ज्यादा गर्मी होने पर वर्क रिलेटेड समस्या बढ़ जाती है, एक्सीडेंट्स का खतरा भी बढ़ जाता है। वहीं ज्यादा गर्मी के कारण कुछ बीमारियां शरीर में तेज से बढ़ने लगती है। इससे डिहाइड्रेशन, हीट क्रेंप और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। वहीं सांसों और हार्ट से संबंधित बीमारियों की जटिलताओं के कारण पहले से बीमार लोगों की मौत की आशंका, किडनी और मेंटल बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक डाइबिटीज, मेंटल हेल्थ, स्ट्रोक आदि के कारण लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
गर्मी से बचने के लिए क्या करें
डब्ल्यूएचओ के अनुसार गर्मी से बचने के लिए लिविंग स्पेस को ठंडा बनाए रखें। कोशिश करें कि जहां आप रह रहे हैं वहां का तापमान दिन में 32 डिग्री से ज्यादा न हो और रात का तापमान 24 डिग्री तक नियत रहे। बच्चे और बुजुर्गों का ख्याल रखना इस गर्मी में ज्यादा जरूरी है। रात और सुबह में खिड़की खुला रखें। जहां तक संभव हो रात को बिजली बंद कर दें। लेकिन यह संभव नहीं है कि आप हमेशा गर्मी में जहां-जहां जाएं वहां का तापमान 30 डिग्री के करीब हो। इसलिए कोशिश करें कि दिन में कम से कम 2 से 3 घंटे ठंडी वाली जगहों पर जरूर रहें। जहां तक हो बाहर जाने से बचें। ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी न करें। जबकि यदि एक्सरसाइज करना हो तो एकदम सुबह ही करें। दिन में जरूर स्ना करें। कई बार फूट बाथ लें। लूज और लाइट कपड़े पहनें। लिनन के बेड का सोने के लिए इस्तेमाल करें। कुशन से बचें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। अल्कोहल और कैफीन पेय ज्यादा गर्मी में न पीएं तथा हल्का खाना खाएं। हाई प्रोटीन वाली चीजों का अत्याधिक मात्रा में सेवन ना करें। तथा ज्यादा ऑयली या तली-भुनी चीजे खाने से परहेज करें।