नई दिल्ली। खरीफ की बुआई का सीजन आ रहा है ऐसे में उर्वरकों का संकट किसानों के लिए काफी दुखदायी हो सकती है। बिजली की भी समस्या देखने को मिल रही है। खेती के लिए खाद और बिजली दोनों की बहुत जरूरी चीजें है और अगर इनका संकट गहराया तो इसका परिणाम भी कष्टकारी ही हो सकता है।
देश में डीएपी की खपत लगभग 50 लाख टन है और ऐसा नहीं लग रहा है कि इस बार के सीजन में इसकी पूरी तरह उपलब्धता हो पाएगी। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का दुष्प्रभाव अब पूरी दुनिया पर दिखाई देने लगा है। भारत में विशेष रुप से फास्फेटिक और पोटेशियम उर्वरकों की आपूर्ति प्रभावित हुई है और इसका सीधा असर खरीफ की खेती पर पड़ेगा।
देश में सर्वाधिक खपत वाले उर्वरक यूरिया की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ कर 12 सौ डालर प्रति टन पहुंच गई है। इसके चलते देश में भी यूरिया की कीमत में भारी उछाल आएगा और यह बढ़ी कीमत किसानों पर मार डालने वाला होगा। देश में यूरिया की खपत करीब 340 लाख टन है। डीएपी के लिए आवश्यक फास्फोरिक एसिड की कीमत भी बढ़कर 2025 डालर प्रति टन हो गई है।
इस युद्ध के कारण कीमतों में काफी उछाल आया है यह बड़ी हुई कीमतें जहां किसानों को परेशान करेंगे वही कृषि उत्पादों को भी प्रभावित करेंगे आयात की कीमतो और कच्चे माल की कीमतों में तेजी के चलते सरकार ने पिछले माह डीएपी की कीमतों में 150 रुपया प्रति बोरी बढ़ोतरी कर दी है। एक बोरी में 50 किलो डीएपी आता है।
एक ओर जहां देश में बिजली का संकट गहराता जा रहा है और उसके बाद आने वाली खाद के उपलब्धता की समस्या किसानों का हौसला तोड़ने के लिए काफी लग रही है। इस समस्या से निजात पाने के लिए केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को भी गंभीरता से सार्थक कदम उठाने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि अगर इस समय किसान परेशान हुए तो इसका व्यापक असर उनकी खरीफ की खएती परक पड़ेगा। जिस देश का किसान जितना खुशहाल होगा, देश उतना ही समृद्ध होगा।