नई दिल्ली। भारत आज कृषि उत्पादों के मामले में आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि कई चीजों का निर्यात भी करता है। 1961 में खाद्य सुरक्षा तो दूर जनता का पेट भरने के लिए पर्याप्त अनाज भी नहीं था। इससे निपटने के लिए सरकारों ने प्रयास शुरू किए। बांध बने, सिंचाई की व्यवस्था हुई और तकनीक के समावेश के साथ कृषि पैदावार में वृद्धि होती चली गई। दुग्ध और दुग्ध उत्पाद निर्माता ब्रांड अमूल के संस्थापक ने आपरेशन फ्लड की शुरुआत की थी। इसे श्वेत क्रांति भी कहा जाता है। 1998 में अमेरिका को पछाड़ भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बना।
यूएस डिपार्टमेंट आफ एग्रीकल्चर के अनुसार 2021 में भारत ने 19.9 करोड़ टन दुग्ध उत्पादन किया था। हम न सिर्फ दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक हैं, बल्कि वैश्विक उत्पादन में 20 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी भी रखते हैं। कृषि विज्ञानी नार्मन बोरलाग और एमएस स्वामीनाथन ने 1965-66 में देश में हरित क्रांति की शुरुआत की। उन संसाधनों का विकास किया। जिनके जरिये कृषि उत्पादन को बढ़ाया जा सकता था। आज कृषि उत्पादकता के साथ-साथ उत्पादन में भी वृद्धि हुई है।
पीली क्रांति देश में तिलहन के उत्पादन से संबंधित है, जबकि नीली क्रांति मछलियों और अन्य जलीय जीव पालन से संबंधित है। वैश्विक मछली उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी सात फीसद से ज्यादा है। मत्स्य उद्योग भारत की जीडीपी में 1.1 और कृषि आधारित जीडीपी में 5.15 फीसद से ज्यादा का योगदान देता है। मत्स्य पालन में भारत विश्व में दूसरे पायदान पर है।