पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सबसे बड़ा लाभ क्या है? श्री रामः”लाभो मद्भक्तिरुत्तमः।” भगवान की भक्ति सबसे बड़ा लाभ है।गोस्वामी श्री तुलसी दास जी महाराज लिखते हैं-लाभ कि कछु हरिभक्ति समाना। जेहि गावहिं श्रुति संत पुराना।। हानि कि जग एहि समकछु भाई। भजिये न रामहिं नर तनु पाई।। अखंड भजन का होना ही लाभ है और भजन का न होना ही हानि है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान् कहते हैं- “लब्ध्वा चापरं लाभं “। आत्मलाभ, ईश्वर भक्ति से बड़ा कोई लाभ नहीं। कुछ लोग अर्थ का ही लाभ या हानि मानते हैं। यह व्यवहारिक पक्ष है। परंतु क्या आज तक किसी को अर्थ लाभ से शांति मिली है, आध्यात्मिक पक्ष यही है कि लाभ वह है जिससे अखंड शांति का उदय हो। धन से शांति न मिल पाई तो लाभ कैसा? जिसके जीवन में भक्ति आ गई, उसे स्वतः शांति मिल जाती है। सकल भुवनमध्ये निर्धनास्तेऽपि धन्याः निवसति हृदि येषां श्रीहरेर्भक्तिरेका। अर्थात् इस संसार में वह निर्धन भी धनवान् है जिसके हृदय में प्रेमाभक्ति जागृत हो चुकी है। धन के पीछे दौड़ने वाले प्रायः तनाव का शिकार होते देखे गये हैं। भक्ति ऐसे सुख है जैसे अगाध जल में मीन सुखी रहती है। पूज्य गोस्वामी श्री तुलसी दास जी महाराज कहते हैं कि- सुखी मीन जे नीर आगाधा। जिमि हरि शरण न एकऊ बाधा।। मानव तन की सार्थकता भक्ति प्राप्ति में है, धन वैभव प्राप्ति में नहीं है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)