नई दिल्ली। देश में लगातार बढ़ रही मानव तस्करी की बढ़ती घटनाएं जहां गम्भीर चिन्ता का विषय है वहीं इसकी रोकथाम के लिए किये जाने वाले सरकारी प्रयासों पर भी प्रश्नचिह्न लग रहा है। मानव तस्करी एक बड़ी समस्या बन गई है। विश्व के अनेक देश इस समस्या से ग्रसित हैं। ऐसी घटनाएं मानवता को कलंकित करती हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट से जो आंकड़े सामने आए हैं उससे चिन्ता और भी बढ़ गई है। मानव तस्करी की घटनाएं निरन्तर बढ़ रही हैं। इसमें संघटित अपराधियों का गिरोह पूरी तरह सक्रिय है। मानव तस्करी ने एक व्यापार का रूप ले लिया है जिसपर रोक लगाने में मौजूदा कानूनी प्रावधान और उपाय पूरी तरह से विफल है।
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में देश के विभिन्न राज्यों में मानव तस्करी के 2189 मामले दर्ज हुए हैं। वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 1714 था। महिलाओं और बच्चों की तस्करी कर गैर-सामाजिक गतिविधियों में लगाया जाता है। बच्चों को जहां अपराध की गतिविधियों में शामिल किया जाता है, वहीं महिलाओं को देह व्यापार के लिए बेच दिया जाता है।
इनमें नाबालिगों की संख्या अधिक है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पीड़ितों की संख्या 6533 है। इनमें 4062 महिलाएं शामिल हैं। मानव तस्करी से पीड़ित महिलाओं में 1307 नाबालिग हैं। इनमें ऐसे भी लोग हैं जिनसे जबरन मजदूरी करायी जाती है। चिन्ता की बात यह भी है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं। प्रति एक लाख की आबादी पर महिलाओं के खिलाफ अपराध में वर्ष 2020 की तुलनामें 2021 में आठ
प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार लड़कियों की तस्करी भी बढ़ी है। केन्द्रशासित प्रदेशों में दिल्ली में मानव तस्करी की घटनाएं सबसे अधिक हुई हैं। वैसे बड़ी संख्या में तस्करी की शिकार महिलाओं और बच्चों को मुक्त भी कराया गया है। लेकिन मानव तस्करी पर पूरी तरहसे अंकुश लगाने की जरूरत है।
इसके लिए स्वयंसेवी संघटनों के परामर्श से नए कानून बनाने की आवश्यकता है जिसके प्रावधान काफी सख्त हों। ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि मौजूदा कानून कारगर नहीं है। मानव तस्करी पर रोक लगाने के लिए स्वयंसेवी संघटनों को भी सहयोग करने के लिए आगे आना चाहिए।