योग। चक्रासन या उर्ध्व धनुरासन योग का अभ्यास शरीर की कई बड़ी मांसपेशियों के साथ जांघों, पेट और बाहों को टोन करने में मदद करता है। चक्रासन योग पैरों से लेकर सिर तक के सभी अंगों के लिए कारगर हो सकता है। इसका शरीर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभ देखा गया है, चिंता-तनाव की समस्याओं से परेशान लोग भी इस योग के नियमित अभ्यास की आदत बनाकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
जिन लोगों को शरीर की मुद्रा में गड़बड़ी के कारण स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, ऐसे लोगों के लिए इस योगाभ्यास का नियमित अभ्यास करना विशेष लाभप्रद हो सकता है।
चक्रासन योग का नाम संस्कृत के शब्दों, चक्र या पहिया से लिया गया है, इस आसन के दौरान शरीर की स्थिति चक्र के आकार की हो जाती है। विशेषज्ञ कहते हैं, जिन लोगों के दिन का ज्यादातर समय ऑफिस में बैठे-बैठे निकल जाता है वह चक्रासन योग का अभ्यास करके कई तरह के दुषप्रभावों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
चक्रासन योग कैसे किया जाता है?
चक्रासन योग का अभ्यास हमेशा किसी विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिए। इसमें होने वाली किसी भी तरह की असावधानी आपके लिए समस्याओं का कारण बन सकती है। इस अभ्यास को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और दोनों पैरों के बीच अंतर बनाकर कोहनियों को मोड़कर हथेलियों को समतल जमीन पर टिका ले। अब कमर, पीठ तथा छाती को ऊपर की ओर उठाएं। इस स्थिति में शरीर का आकार एक चक्रनुमा हो जाता है। कुछ समय के लिए इसी अवस्था में रहें और फिर पूर्ववत स्थिति में आ जाएं।
चक्रासन योग करने के फायदे:-
चक्रासन योग का अभ्यास शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने में आपके लिए सहायक हो सकता है। कई प्रकार की बीमारियों के लक्षणों को कम करने के लिए भी इस योग के अभ्यास से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
- शरीर के ऊर्जा को बढ़ाता है।
- हाथ, पैर, रीढ़ और पेट के अंगों को मजबूती देता है।
- छाती और कंधों की बेहतर स्ट्रेचिंग में सहायक है।
- कोर की मांसपेशियों के लिए फायदेमंद अभ्यास है।
- रीढ़ में लचीलेपन को बढ़ाता है।
- कमर, पीठ, पैरों में दर्द की समस्या से राहत दिलाने वाला अभ्यास है।
इन सावधानियों का रखें ध्यान:-
चक्रासन योग का अभ्यास अपेक्षाकृत कठिन माना जाता है और इसमें बरती गई लापरवाही कई प्रकार से शरीर को चोट पहुंचा सकती है, ऐसे में इसके अभ्यास के दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है या गर्भवती महिलाओं को इसका अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है। यदि आपको हाथों या कंधों पर चोट लगी हो तो भी इस योग के अभ्यास से बचाव करना चाहिए।