विशिष्ट पहचान पत्र परिवारों की सहमति से किया जाएगा तैयार: एलजी मनोज सिन्‍हा

जम्मू कश्मीर। जम्मू में एक कार्यक्रम के बाद एलजी मनोज सिन्‍हा पत्रकारों से मुखातिब हुए, इस दौरान एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि हरियाणा की तर्ज पर प्रत्येक परिवार के लिए विशिष्ट पहचान पत्र जारी करने के फैसले से किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। यह प्रत्येक परिवार की सहमति से तैयार किया जाएगा। इसके डाटा का उपयोग कल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक लाभ पहुंचाने के लिए होगा।

कार्यक्रम में एलजी सिन्‍हा ने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद, आतंकवाद, परिवारवाद तथा भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा था। यह अपने भाइयों व बहनों को उनका हक देने में बाधा उत्पन्न कर रहा था। इसका उपयोग पाकिस्तान आतंकवाद को फैलाने में कर रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे हटाकर जम्मू-कश्मीर में शांति, प्रगति तथा समृद्धि के नए अध्याय का शुभारंभ किया है।

जम्मू-कश्मीर के लोग हमेशा शांति चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद तथा इसके समर्थक हमेशा धरती के स्वर्ग को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। अब हालात बदल गए हैं। धरती का स्वर्ग अब नई ऊचाइयां छू रहा है। लोगों की जीवनशैली आसान हुई है। आज विश्व समुदाय यह समझने लगा है कि कुछ भी अच्छा आतंकवाद या खराब आतंकवाद नहीं है।

आतंकवाद किसी भी रूप में हो वह मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है। दुश्मनों के इशारे पर काम करने वाले अलगाववादी हमारे भोले भाले युवाओं को बरगलाते रहे हैं और उन्हें तोपों का चारा बनाते रहे हैं। जबकि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा तथा सामान्य जीवनयापन के लिए दिल्ली, मुंबई तथा विदेशों में जाते थे। पाकिस्तानी आतंकी संगठनों तथा उनके समर्थकों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है।

काफी हद तक आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग तथा भर्ती को रोकने में कामयाबी मिली है। हमारा विश्वास शांति खरीदने में नहीं बल्कि शांति स्थापित करने में है। आतंकवाद के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को समाप्त करने के प्रति सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अब भी गलत धारणा प्रचारित करने के साथ ही युवाओं को बरगलाने में लगे हुए हैं।

उपराज्यपाल मनोज सिन्‍हा ने कहा कि सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता पर सवाल उठाने वाले लोगों को याद रखना चाहिए कि प्रशासन सामान्य लोगों के लिए है न कि कुछ चुनिंदा लोगों के लिए। हमें यह पूछना चाहिए कि पूर्व में कैसे आतंकियों के परिवार वालों को सरकारी नौकरियां मिलीं। कैसे अलगाववादियों को नौकरी मिली। कैसे बर्बरतापूर्वक घटनाओं को अंजाम देने वालों को सरकारी सेवाएं मिलीं।

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