वाशिंगटन। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के पाकिस्तानी उकसावे में सैन्य जवाब देने की अधिक संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संकट अधिक गंभीर हैं क्योंकि दोनों परमाणु-सशस्त्र देश हैं। अमेरिकी खुफिया तंत्र की इस रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी आशंका है कि पाकिस्तानी उकसावों की स्थिति में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत पहले की तुलना में अधिक सैन्य बल के साथ जवाब देगा।
अमेरिकी खुफिया समुदाय की हर वर्ष रिलीज होने वाली रिपोर्ट में भारत के लिए खतरों का आकलन भी किया गया है। इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय द्वारा अमेरिकी कांग्रेस के सामने पेश किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत-चीन द्विपक्षीय सीमा विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने में लगे हुए हैं, लेकिन 2020 में देशों की सेनाओं के बीच हुए संघर्ष को देखते हुए संबंध तनावपूर्ण ही रहेंगे। इस घटना के बाद से दोनों के बीच संबंध गंभीर स्तर पर हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि विवादित सीमा पर भारत और चीन दोनों द्वारा ‘सेना का विस्तार’ दो परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र टकराव के जोखिम को बढ़ाता है, जिससे अमेरिकी लोगों तथा हितों को सीधा खतरा हो सकता है। इसमें अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग की जाती है। पिछले गतिरोधों से स्पष्ट है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लगातार निम्न-स्तर के संघर्ष तेजी से बढ़ सकते हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव विशेष रूप से चिंता का विषय है। हालांकि, दोनों देश संभवत: 2021 की शुरुआत में नियंत्रण रेखा पर दोनों पक्षों के फिर से संघर्षविराम पर राजी होने के बाद से अपने संबंधों को मजबूत करने के इच्छुक हैं। इसमें कहा गया है, “हालांकि, पाकिस्तान का आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने का लंबा इतिहास रहा है और पीएम मोदी के नेतृत्व में कथित या वास्तविक पाकिस्तानी उकसावों का जवाब अब भारत द्वारा पहले से कहीं अधिक सैन्य बल के जरिए देने की आशंका है।”