हम चीजों या पुरानी यादों को क्यों भूल जाते है? जानें वैज्ञानिक रीजन

रोचक जानकारी। क्रिएटिव लोगों के बारे में कहा जाता है कि वे पुरानी चीजों को बहुत जल्‍दी भूल जाते हैं। विद्वानों का भी ऐसा मानना है कि भूल जाने वाले लोगों में महत्‍वहीन चीजों को महत्‍वपूर्ण चीजों से अलग करने की विशेष क्षमता होती है। ऐसे लोग ही बाकी से हटकर सोच पाते हैं। ऐसे लोगों का समस्‍याओं को हल करने का तरीका भी अलग होता है। आपको सुनकर थोड़ा अजीब लग सकता है कि कई बार ऐसी चीजों का इस्‍तेमाल करके भी समस्‍याओं का आसान हल खोज निकलते हैा, जिनके बारे में अमूमन लोग सोचते भी नहीं होंगे। लेकिन, सामान्‍य तौर पर भूलने को अच्‍छी आदत नहीं माना जाता है। तो चलिए समझते हैं कि विज्ञान के अनुसार लोग चीजों या पुरानी यादों को क्‍यों भूल जाते हैं?

कई लोगों के साथ ऐसा हुआ होगा कि घर से सामान लेने के लिए निकले हों और कुछ चीजें लाना भूल ही गए हों। कई बार ऐसा भी होता है कि हम अपने हाथ में बंधी हुई घड़ी या सिर पर लगे हुए चश्‍मे को ही पूरे घर में खोजते रहते हैं। कई बार बाजार में शॉपिंग करते समय अपना चश्‍मा या वॉलेट काउंटर पर ही छोड़ आते हैं। कोई यह स्‍वीकार करना पसंद नहीं करता है कि उसने अपना चश्‍मा खो दिया है। यादाश्‍त पर शोध करने वाले लोग भूलने को याद करने के उलट प्रक्रिया मानते हैं।

निरंतर परिवर्तनों से भरा जीवन
शोधकर्ताओं के अनुसार, अगर किसी व्‍यक्ति के जीवन में लगातार और तेजी से बदलाव हो रहे हैं तो बाकी लोगों के मुकाबले लोगों, घटनाओं और चीजों भूलेगा भी तेजी से। असल में यह यादाश्‍त की कमजोरी से कहीं ज्‍यादा उसके जीवन का अभिन्‍न अंग बन जाता है। दरअसल, हम जो कुछ भी याद करते हैं, अनुभव करते हैं या भविष्य की योजना बनाते हैं, वह न केवल हमारी मौजूदा यादों पर निर्भर करता है, बल्कि उन सभी बातों पर भी निर्भर करता है, जिन्हें हम अब नहीं जानते हैं। यह स्थिति एक संगमरमर की मूर्तिकला जैसी है, जो एक मूर्तिकार ने चट्टानों से अभी अभी तराशकर बनाई है। वह मूर्ति बनाने के दौरान पत्‍थर के वास्‍तविक आकार को भूलता जाता है।

दरअसल, हमारे जीवन में लगातार परिवर्तन होते रहते हैं। इसलिए हमारा दिमाग गैर-आवश्‍यक चीजों, घटनाओं और यादों को स्‍मृति से रिमूव करते जाता है। बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए हमें नई चीजें सीखनी चाहिए। इसी तरह नई चीजों को सीखने के लिए पिछली सीखी हुई उन चीजों को भूलना भी आवश्‍यक है, जो आज के काम के लिए उपयोगी नहीं है। इसीलिए हमारा सिस्‍टम पुरानी बिना उपयोग की यादों को स्‍मृति से रिमूव करते रहता है।

अगले अनुभव तक रहती है पिछली याद
हमारी याद में आज महसूस की गईं या सुनी हुई या चखी गई या सूंघी गई चीजों की याद तब तक ही रहती है, जब तक हम अगला अनुभव, अगली बात या अगली चीज खा या सूंघ नहीं लेते हैं। इसमें पुरानी चीजों की याद केवल तुलना करने तक के लिए ही याद रह सकती है। लेकिन, पुरानी खाई या सूंघी हुई चीज का अनुभव हम उस समय नहीं करते, जब नई चीज का स्‍वाद ले रहे होते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, भूलने की हमारी आदत तीन वैज्ञानिक तथ्‍यों के आधार पर समझी जा सकती है।

यादाश्‍त की कमजोरी नहीं है भूलना
चीजों, घटनाओं या यादों को भूलना यादाश्‍त की कमी या कमजोरी नहीं है। भूलना एक महत्‍वपूर्ण और निरंतर चलने वाली सक्रिय प्रक्रिया है। भूलना हमें नई चीजों को सीखने के लिए तैयार करता है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो जब हम नई चीज सीखते हैं तो पुरानी को निष्क्रिय अवस्‍था में डाल देते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि महत्‍वहीन और महत्‍वपूर्ण को वही आसानी से अलग कर पाते हैं, जो भूल जाते हैं। भूलने का कोशिकीय तंत्र सीखने के जैसा ही है। ये हिप्पोकैम्पस और दिमाग के अन्य क्षेत्रों में एक ही सिनैप्स पर होता है।

ट्रॉमा लंबे समय तक क्‍यों रहता है याद
भूलने की प्रक्रिया में अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या हम वास्तव में पिछली सामग्री को हटा रहे हैं या इसे एक्सेस करना कठिन बना रहे हैं। हर बार जब हम कुछ नया पाते हैं तो हमारी यादें भी बदल जाती हैं। हालांकि, किसी खास तरह के ट्रॉमा से गुजरने वाले लोगों में ठीक होने बाद भी उस विशेष घटना की यादें काफी लंबे समय तक बनी रह जाती हैं। ये उनके जीवन में स्‍ट्रेस और डर का कारण बन जाती हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, ऐसी घटनाएं स्‍मृति में किसी खास काम के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ बार-बार याद आने के लिए ही रह जाती हैं। इस तरह की यादों का बना रहना काफी खतरनाक भी साबित हो सकता है। शोधकर्ता इस स्थिति को बदलने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं।

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