रोचक जानकारी। हर साल 29 जुलाई को विश्व के कई देशों में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस बाघों के संरक्षण और उनकी विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के उद्देश्य से मनाते हैं। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 150 सालों में बाघों की संख्या में लगभग 95 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है।
बाघ दिवस मनाने का फैसला करते हुए देशों ने बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था। कई देश इस लक्ष्य को पूरा करने के दिशा में प्रयास कर रहे हैं। भारत ने साल 2018 में ही बाघों की प्रजातियों को दोगुना करने के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है। साल 2018 में भारत में बाघों की संख्या 2900 से ज्यादा थी। चलिए जानते हैं अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई, बाघ दिवस का इतिहास क्या है और इस साल की बाघ दिवस की थीम क्या है-
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास:-
बाघ दिवस मनाने की शुरुआत साल 2010 से हुई थी। रूस के पीटर्सबर्ग में एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। इस अंतर्राष्ट्रीय समिट में 13 देशों ने हिस्सा लिया था। बाघों की विलुप्त होती प्रजातियों पर चिंता जताते हुए बाघों की संख्या 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य बना लिया।
बाघ दिवस की थीम:-
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2022 की थीम “India launches Project Tiger to revive the tiger population” है यानी बाघों की आबादी को पुनर्जीवित करने के लिए भारत ने प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया है।
भारत में बाघों की स्थिति:-
भारत सरकार ने देश में बाघों की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पिछले तीन सालों में 329 बाघों की मौत शिकार, प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से हुई है। वहीं साल 2019 में 96 बाघों की मौत हो चुकी है। हालांकि अब शिकार के मामलों की संख्या में कमी आई है।