विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस आज…

नई दिल्‍ली। मन कोई अंग नहीं है। सोचने की प्रवृत्ति ही मन है। वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विजयनाथ मिश्रा बताते हैं कि हर व्यक्ति की सोच या विचार ही उसकी सेहत का राज होता है। सोच या विचार के पैमाने में अस्थिरता आने से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, जिसका सीधा असर मस्तिष्क पर पड़ता है। 36.6% खुदकुशी के केस भारत से हैं। युवाओं में खुदकुशी बढ़ी है। युवाओं की मौत और खराब मानसिक स्वास्थ्य से देश को वर्ष 2030 तक 10.03 खरब डॉलर के नुकसान का अनुमान है। मन को समय पर सही प्रशिक्षण मिले तो वह हर स्थिति से निपटने को तैयार रहता है। मन (दिमाग) मां का चांटा और टीचर की छड़ी को हमेशा याद रखता है। ये दोनों गलत काम से ही नहीं, कमजोर होने से भी रोकते हैं। अब हमारे बच्चे इन दोनों चीजों से दूर होते जा रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *