नई दिल्ली। जंतर मंतर पर 19 दिनों से देश के लिए पदक लाने वाले पहलवानों का धरना प्रदर्शन जारी है। मालूम हो कि ये पहलवान भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। महिला पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। इसको लेकर दिल्ली पुलिस ने एक एफआईआर भी दर्ज कर ली थी। अब यह मामला राजनीतिक दंगल में तब्दील चुका है। जहां रोज नया दल, नए संगठन पहलवानों के समर्थन में जुट रहे हैं। एक तरफ इस पूरे मामले को एक राजनीतिक पैंतरे की तरह देखा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ पहलवानों की मांग को लेकर कोर्ट की कार्यवाही भी अपनी गति से चल रही है। इसी के चलते दिल्ली पुलिस ने नाबालिग महिला का बयान कोर्ट में दर्ज कराया। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज किया गया। बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवाया गया।
जानें क्या है सीआरपीसी की धारा 164
दंड प्रक्रिया संहिता (code of criminal procedure 1973) की धारा 164 के तहत स्वीकृति और कथनों को अभिलिखित किया जाता है, यानी इकबालिया बयान दर्ज करना। बयान दर्ज करने का मकसद साक्ष्य को संरक्षित करना है। पहली बार में गवाह की, गवाही का लेखा-जोखा लेना होता है। इस धारा के तहत बयान दर्ज करने के लिए आवेदन आमतौर पर अभियोजन पक्ष दायर करता है।
मजिस्ट्रेट को बयान दर्ज करने के पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि बयान देने वाला स्वेच्छा से बयान दे रहा है और उस पर किसी बात का कोई दबाव नहीं है। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत गवाह का बयान एक सार्वजनिक दस्तावेज होता है जिसमें किसी तरह की औपचारिक प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है। केवल एक न्यायिक मजिस्ट्रेट या मेट्रोपोलेटिन मजिस्ट्रेट के पास ही संहिता की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने की शक्ति होती है।