XpoSAT Launch: साल के पहले दिन ही भारत ने खगोल विज्ञान के सबसे बड़े रहस्यों में से एक ब्लैक होल के रहस्य की जानकारी खंगालने के लिए उपग्रह लॉन्च किया. आज सुबह 9.10 बजे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के इस पहले एक्स-रे पोलरीमीटर उपग्रह यानी ‘एक्सपोसैट’ को रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) सी 58 के जरिए प्रक्षेपित (XpoSAT Launch) किया गया.
बता दें कि यह केवल 21 मिनट में अंतरिक्ष में 650 किमी ऊंचाई पर पहुंच जाएगा. इस रॉकेट का यह 60वां मिशन होगा. इस मिशन में एक्सपोसैट के साथ साथ 10 अन्य उपग्रह भी पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होंगे.
XpoSAT Launch: अगले चरण में क्या होगा?
उपग्रहों को स्थापित करने के बाद वैज्ञानिक पीएसएलवी-सी 58 को पृथ्वी की ओर 350 किलोमीटर की ऊंचाई तक लाएंगे. इसके लिए रॉकेट में शामिल किए जा रहे चौथे चरण का इस्तेमाल होगा. यहां पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल- 3 (पोयम 3) परीक्षण अंजाम दिया जाएगा. बता दें कि अप्रैल 2023 में पीएसएलवी सी 55 रॉकेट के साथ भी इसरो ने पोयम परीक्षण किया था.
XpoSAT Launch: ये दोनों उपकरण करेंगे मदद
दरअसल, एक्सपोसैट (XpoSAT) में दो उपकरण लगाए गए हैं. पहला पोलरीमीटर इंस्ट्रूमेंट इन एक्सरे यानी पॉलिक्स. ये दोनो उपकरण ब्लैक होल के राज जानने में मदद करेंगे. इन दोनों उपकरणों को रमन शोध संस्थान ने बनाया है. वहीं एक्सरे स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड टाइमिंग यानी एक्सपेक्ट दूसरा उपकरण है, जिसे यूआर राव उपग्रह केंद्र बेंगलूरू द्वारा बनाया गया है.
इस मिशन का उद्देश्य
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि इस उपग्रह का लक्ष्य सुदूर अंतरिक्ष से आने वाली गहन एक्स-रे का पोलराइजेशन यानी ध्रुवीकरण का पता लगाना है. यह किस आकाशीय पिंड से आ रही हैं, यह रहस्य इन किरणों के बारे में काफी जानकारी देते हैं.
दरअसल, पूरी दुनिया में एक्स-रे ध्रुवीकरण को जानने का महत्व बढ़ा है. यह पिंड या संरचनाएं ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे (तारे में विस्फोट के बाद उसके बचे अत्यधिक द्रव्यमान वाले हिस्से), आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद नाभिक आदि को समझने में मदद करता है. जिससे आकाशीय पिंडों के आकार और विकिरण बनाने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी.
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