विवाह को आजादी में बाधा मानते हैं युवा

रिलेशनशिप। आज के परिवेश में तलाक के मामले बढ़ रहे है। इसको लेकर केरल हाईकोर्ट की ओर से वैवाहिक सम्बन्ध का  इस्तेमाल करो और फेंक दो‘ (यूज एण्ड थ्रो) की संस्कृति से प्रभावित होने पर चिन्ता उचित और विचारणीय है। लिव- इन रिलेशनशिप और तुच्छ स्वार्थ पर आधारित तलाक समाज की ऐसी कुरीतियां हैं जिसका व्यापक दुष्प्रभाव भविष्य में परिलक्षित होगा।

युवा पीढ़ी विवाह को ऐसी बुराई के रूप में देख रही है जो उनकी आजादी में सबसे बड़ी बाधा है। इसलिए लिव-इन रिलेशनशिप के मामले बढ़ रहे हैं ताकि अलग होने पर एक- दूसरे को सिर्फ अलविदा (गुडबाय) कह सकें । देश में इस नई परम्परा की शुरुआत अत्यन्त दुखद और चिन्तनीय है। भारतीय समाज में विवाह का महत्वपूर्ण स्थान है यह एक पवित्र संस्कार है जो प्राचीन काल से चली आ रही है और इसे सशक्त समाज के नींव के रूप में देखा जाता है।

भारतीय सभ्यता और संस्कृति में विवाहोपरान्त शुरू होने वाला गृहस्थ आश्रम अन्य तीनों आश्रमों से अधिक महत्वपूर्ण है। विवाह यौन इच्छाओं की पूर्ति की अनुमति देने वाली कोई खोखली रस्म ही नहींबल्कि दाम्पत्य जीवन का मजबूत सम्बन्ध है। जीवन का आनन्द परिवार हैजिसमें सुखशान्ति और मनोरंजन के सभी साधन प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हैंलेकिन दुख की बात है कि पारिवारिक विघटन से सबकुछ छिन्न-भिन्न होता जा रहा है।

पहले संयुक्त परिवार थाजिसमें मर्यादा थी और परिवार के सभी सदस्य तनावमुक्त थे। अब एकाकी परिवार हो गया हैजिसमें सभी तनाव में सांस ले रहे हैं। परिवार एक संस्था है जिसमें अब स्थायित्व नहीं रह गया है और लगातार विघटित हो रहा है। इसे बचाने की जरूरत है। इसका गुरुत्तर दायित्व युवाओं पर है। उन्हें यूज एण्ड थ्रो की सोच से बाहर आना चाहिए। जीवन का आनन्द मजबूती से वैवाहिक सम्बन्ध से जुड़ने में हैतोड़ने में नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *