Health tips: आजकल की अनहेल्दी लाइफस्टाइल कई गंभीर बीमारियों की वजह बन रही है. ब्रेन स्ट्रोक ऐसी बीमारियों में से एक है. जिसमे दिमाग की नस फटने से ब्रेन ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस स्थिति को ब्रेन हैमरेज कहा जाता है और ये एक जानलेवा मेडिकल इमरजेंसी है. आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु भी ब्रेन ब्लीडिंग की समस्या का शिकार बन चुके हैं. इसके बाद इमरजेंसी में सद्गुरु की सर्जरी की गई थी. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर ब्रेन ब्लीडिंग के लक्षणों को समय रहते न पहचाना जाए, तो जान पर भी बात आ सकती है.
क्यों आता है ब्रेन स्ट्रोक
डॉक्टर के अनुसार, मस्तिष्क में मौजूद वर्टेब्रोबैसिलर धमनी सेरिबैलम, पोन्स, मिडब्रेन, थैलेमस और ओसीसीपिटल कॉर्टेक्स तरल पदार्थ की पूर्ति करती है. जब वर्टेब्रोबैसिलर में ब्लड का प्रवाह रुकने लगता है तो यह पोस्टीरियर सर्कुलेशन स्ट्रोक का कारण बनता है. ऐसे में लापरवाही जानलेवा बन सकती है.
ब्रेन हैमरेज के शुरुआती लक्षण
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसे लक्षणों को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि कई बार यह दिमाग के अंदर बढ़ते दबाव या नसों पर पड़ रहे तनाव का संकेत हो सकता है. सिरदर्द के अलावा, चक्कर आना भी एक महत्वपूर्ण लक्षण है. अचानक से संतुलन बिगड़ना, चलते समय लड़खड़ाना या आंखों के आगे अंधेरा छा जाना ब्रेन की किसी गड़बड़ी का संकेत हो सकता है.
तेज सिर में दर्द होना
ब्रेन ब्लीडिंग से पहले अचानक से तेज सिर दर्द महसूस हो सकता है. सद्गुरु की सर्जरी कर जान बचाने वाले डॉक्टर विनित सुरी ने बताया था कि सद्गुरु को 4 हफ्तों से सिर में तेज दर्द हो रहा था. अगर सिर में लगातार तेज दर्द हो रहा हो, तो जरूरी नहीं है कि ये लक्षण मामूली हो क्योंकि दिमाग की नस फटने से पहले भी इस तरह के लक्षण का सामना करना पड़ सकता है.
गौर करने वाले लक्षण
चक्कर महसूस होने पर भी सावधानी बरतने की जरूरत है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ब्रेन हैमरेज से पहले भी इस तरह का लक्षण महसूस हो सकता है. चेहरा सुन्न पड़ जाना या फिर हाथ और पैर सुन्न हो जाना, इस तरह के लक्षण भी इस जानलेवा कंडीशन की तरफ इशारा कर सकते हैं. आपको बता दें कि ब्रेन हैमरेज के लक्षणों में उल्टी या फिर मतली जैसे लक्षण भी शामिल हैं.
बात करने में दिक्कत
बोलने में कठिनाई. वाक्यों का ठीक से न निकल पाना, शब्दों को सही तरह से उच्चारित न कर पाना, या बात समझने में परेशानी होना दिमाग में किसी गड़बड़ी का संकेत हो सकता है. ऐसे समय में तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए. कुछ मामलों में भ्रम की स्थिति, मतिभ्रम (हैलुसीनेशन) या समझने की क्षमता कमजोर होना भी देखा जाता है.
दिमाग की नस फटने से पहले इसको कैसे रोके ?
- हालाँकि, मस्तिष्क धमनीविस्फार को रोकना पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में नहीं है, क्योंकि आनुवंशिकी, उम्र और पहले से मौजूद स्थितियों जैसे कारक इसके विकास में योगदान कर सकते है. फिर भी, कुछ जीवनशैली समायोजन और सावधानियां है, जो जोखिम को कम करने में सहायता कर सकती है. नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार बनाए रखना और रक्तचाप का प्रबंधन मौलिक निवारक उपाय है. धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचना भी धमनीविस्फार के विकास के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण है.
- इसके अलावा, अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना अत्यावश्यक है. स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के साथ नियमित जांच और परामर्श संभावित जोखिम कारकों की पहचान करने और उन्हें कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने में सहायता कर सकते है. व्यक्तिगत चिकित्सा इतिहास को समझना, खासकर यदि परिवार में एन्यूरिज्म चलता हो, सक्रिय उपाय करने और उचित चिकित्सा मार्गदर्शन प्राप्त करने में महत्वपूर्ण है.
- तनाव प्रबंधन तकनीकें, जैसे कि माइंडफुलनेस, योग या ध्यान, भी एन्यूरिज्म के विकास के जोखिम को कम करने में भूमिका निभा सकते है, क्योंकि क्रोनिक तनाव उच्च रक्तचाप में योगदान कर सकता है, जो एन्यूरिज्म के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है.
दिमागी छोटे अटैक से बचाव के लिए किन बातों का रखें ध्यान !
- धूम्रान और शराब का सेवन बंद कर दें.
- ताजे फल, सब्जी और साबुत अनाज का सेवन करें.
- शरीर का वजन कंट्रोल रखें.
- नियमित एक्सरसाइज करें.
- फैट का सेवन कम कर दें.
- टाइप 2 डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई बीपी जैसी बीमारियों की दवा लेते रहें.
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