Yoga exercises: आज के समय में अनहेल्दी लाइफस्टाइल, बढ़ती उम्र, पोषण की कमी और वर्कआउट में कमी के कारण जोड़ों में दर्द एक आम समस्या बन गई है. ये आमतौर पर घुटनों, कूल्हों, पीठ और कंधों में ज्यादा देखने को मिलती है. योग से नेचुरल तरीके से इस दर्द से निजात मिलता है.
योग से जोड़ों की जकड़न कम होती है. ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. यहां कुछ प्रभावी योगासनों की जानकारी दी गई है, जो जोड़ों के दर्द को कम करने और शरीर को मजबूत बनाने में मदद करेंगे. तो आईए जानते हैं इनके बारे में –
गठिया और जोड़ों के दर्द में मददगार योगासन-
पश्चिमोत्तानास
पश्चिमोत्तानासन करने के लिए सबसे पझले योगा मैट पर सीधे बैठ जाएँ और अपने पैर आगे की ओर फैलाएँ. साँस लेते हुए दोनों हाथ ऊपर सिर के ऊपर उठाएँ और पूरे शरीर को स्ट्रेच करें. साँस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें, अपने सिर को पैरों की ओर लाएं. कोशिश करें कि आप अपने पंजों को छू सकें, रीढ़ को सीधा और लंबा रखें. कुछ समय इस स्थिति में रहें, फिर साँस छोड़ते हुए धीरे-धीरे ऊपर आएँ और हाथ नीचे लाएं.
वीरभद्रासन
गठिया और जोड़ों के दर्द में वीरभद्रासन भी फायदेमंद है. सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएँ और अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई से थोड़ा ज्यादा फैलाएँ. दाहिने पैर को 90 डिग्री बाहर मोड़ें और बाएँ पैर को लगभग 15 डिग्री अंदर मोड़ें. दोनों हाथ कंधों के स्तर पर उठाएं, हथेलियाँ ऊपर की ओर रखें. दाहिने घुटने को मोड़ें और सिर को दाहिनी ओर घुमाएँ. इस स्थिति में कुछ समय ठहरें, फिर धीरे-धीरे वापस सीधे हो जाएँ और हाथ नीचे लाएं.अब दूसरी तरफ भी यही प्रक्रिया दोहराएँ.
चक्रवाकासन
चक्रवाकासन करने के लिए सबसे पहले अपने हाथों की कलाइयाँ कंधों के नीचे और घुटनों को कूल्हों के नीचे रखें. साँस लें और पेट को नीचे की ओर धकेलते हुए छाती और ठुड्डी को ऊपर उठाएं. साँस छोड़ते हुए पेट को ऊपर उठाएं और रीढ़ को ऊपर की ओर गोल करें. इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे और नियंत्रित गति से कई बार दोहराएं.
योग करते समय हमेशा धीरे-धीरे और आराम से योगासन करें. यदि दर्द या कोई असुविधा हो, तो योग विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें. नियमित अभ्यास से जोड़ों की मजबूती बढ़ेगी और गठिया के दर्द में काफी राहत मिलेगी.
उत्तानासन
उत्तानासन रीढ़, घुटनों और कूल्हों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. ये जोड़ों के दर्द को कम करता है. इसे करने के लिए सीधे खड़े हों, फिर धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और हाथों से पैरों को छूने की कोशिश करें. शरीर को ढीला छोड़ दें और 20-30 सेकंड तक इस मुद्रा में रहें.
साइकिलिंग
रूमेटाइड अर्थराइटिस कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को काफी हद तक बढ़ा सकता है. साइकिलिंग कार्डियोवैस्कुलर फंक्शन को बेहतर करने में कारगर है. साइकिलिंग करने से बॉडी की जकड़न खत्म होती है, जॉइंट्स मूव करते हैं, बॉडी मोशन सही होता है और पैरों को स्ट्रेंथ मिलती है. रूमेटाइड अर्थराइटिस में कोई भी एक्टिविटी करने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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