राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि हमें अपने दैनिक जीवन में ईश्वर की आराधना को प्रधानता देना चाहिए। अगर आपने प्रातः काल आराधना उपासना कर लिया तो आपका सारा दिन परमात्मा के पहरे में बीतेगा। वह सुरक्षा कवच बनकर आपके पास रहेंगे। जीवन में बहुत बाधाएं आती हैं, इसलिए ईश्वर की आराधना मंगलकारी है। हित और अहित को हम लोग नहीं समझ पाते हैं, हित और अहित को परमात्मा ही समझते हैं। एक व्यक्ति को दिल्ली जाना था। ट्रेन छूट गई, बस भी नहीं मिल पाई, कुछ थोड़ा उसका नुकसान भी हुआ। भगवान को खरी-खोटी सुनाने लगा, प्रातःकाल पता लगा जिस ट्रेन से जाना था, जिस बोगी में उसका रिजर्वेशन था, पटरी से गिर, गई बहुत लोग मर गए, तो कहने लगा भगवान ने बड़ी कृपा की जो ट्रेन छूट गई नहीं तो मर जाता। पहले भगवान को खरी-खोटी सुना रहा था, भगवान तूने अच्छा नहीं किया और अब कह रहा है। भगवान तूने अच्छा किया ट्रेन नहीं छूटती तो मर जाता। हम तत्काल को देखते हैं। ईश्वर हमारे भविष्य को देखता है। इसलिए जीवन की डोर भगवान् के हाथों में सौंप दो-अब सौंप दिया। इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में। उद्धार पतन अब मेरा है, सरकार तुम्हारे हाथों में।। छोटा बच्चा यह नहीं समझता, किस वस्तु से हमारा लाभ है, किस वस्तु से हानि है। छोटा बच्चा है, कभी चाकू उठाता है, कभी तलवार उठा लेता है, कभी जलती लकड़ी उठा लेता है। मां को पता है इसलिए छुड़ाती है। वह रोता भी है। जब वस्तु उससे छुड़ाई जाती है, माता ध्यान नहीं देती। श्रीब्रह्ममहापुराण का मानना है कि जिसमें हित है, परमात्मा वही करते हैं। परमात्मा सबके सच्चे हितैषी हैं, सच्चा हित चिंतन करते हैं,अहित नहीं होने देते हैं। इसलिए अपनी परिस्थिति से आप संतुष्ट हो जाओ तो आपका मन शांत हो जायेगा और आप का भजन अच्छा चल पड़ेगा। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में, चातुर्मास के पावन अवसर पर
श्रीब्रह्मामहापुराण कथा के नवम् दिवस(तीर्थ)कथा में रामेश्वर महादेव भगवान की कथा का गान किया गया। कल की कथा में अंजनी पर्वत, हनुमत् तीर्थ और अनेक तीर्थ की कथाओं का वर्णन किया जायेगा।