जहां हृदय की एकता है वहां ही है निर्भयता: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री खेड़ापति बालाजी दरबार बोराड़ा की पावन भूमि परश्री राम कथा का सप्तम दिवस परके वट प्रसंग एवं भरत चरित्र की कथा का गान किया गया। कल की कथा में नवधाभक्ति, श्रीराम भक्त हनुमान का प्रभु श्री राम से मिलन एवं सुन्दरकाण्ड की कथा का गान किया जायेगा। सत्संग के अमृत बिंदु-जहाँ भेद, वहाँ भय जहाँ भेद है, वहीं भय दिखाई देता है। प्रत्येक प्राणी में प्रभु की चैतन्यमयी प्रतिमा का दर्शन हो रहा हैं। तब भय किस बात का है। जब सबके भीतर प्रभु बैठे हैं, तो डर किसका? वैर किसके साथ? जहां हृदय की एकता है वहां ही निर्भयता है। जो भगवद्मय हैं, वही संदेह रहित है। उन्होंने आगे कहा कि एक सिक्के के दो पहलू है। जो सुख भोगता है, उसे दुःख भोगना ही पड़ता है। जिसके सिर पर भगवान् की जगह अभिमान बैठा है, वह बहुत दुःख पाता है। जो ईश्वर का उपकार भूलता है, वह कभी सुखी नहीं होता। जिसके साथ आप खूब प्रेम का व्यवहार करेंगे, वही आपको रुलायेगा। कुछ लोग अत्यधिक सोने से दुःखी तो कुछ भोजन न मिलने से के कारण दुःखी हैं। कुछ लोगों को अज्ञान दुःख देता है, तो कुछ लोगों को ज्ञान का अभिमान दुःख देता है। आनंद की खोज में बाहर चक्कर लगाने वाला दुःखी होता है। इंद्रियों का अपार सुख भोगने वाला भीतर तो महान दुःखी होता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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