राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि कथा का प्रसंग-भक्त शिरोमणि श्री नामदेव जी महाराज का मंगलमय चरित्र-जल-थल और अग्नि आदि में सर्वत्र अपने इष्ट का ही दर्शन करूंगा। यह प्रतिज्ञा श्री नामदेव जी की उसी प्रकार निभी, जैसे कि त्रेता युग में नरसिंह भगवान के दास श्री प्रल्हाद जी की निभी थी। बचपन में ही उनके हाथ से विट्ठलनाथ भगवान ने दूध पिया। एक मरी हुई गाय को आपने जीवित करके असुरों को अपने भजनबल का परिचय दिया। फिर उस असुरराज के द्वारा दी गई सैय्या को नदी के अथाह जल में डाल दिया। उसके आग्रह पर उसी तरह की अनेक सैय्याएँ निकाल कर दिखा दीं। पंढरपुर में पंढरीनाथ भगवान के मंदिर का द्वार उलटकर आपकी ओर हो गया, इस चमत्कार को देखकर मंदिर के पुजारी सभी श्रोत्रिय ब्राह्मण लोग संकुचित और लज्जित हो गये। प्रेम के प्रभाव से पंढरनाथ भगवान आपके पीछे-पीछे चलने वाले सेवक की तरह कार्य करते थे। आग से जल जाने पर अपने हाथों से भगवान ने आपका छप्पर छाया। सत्संग के अमृतबिंदु-पाप से डर-जिसे पाप का डर नहीं, उसे मन की शांति नहीं मिलती। आति पापी और प्रेत दोनों एक जैसे हैं। भोजन करते समय जूँठा छोड़ना सबसे बड़ा पाप है। अन्न ब्रह्मरूप है। उसको नहीं बिगाड़ना चाहिए। संग्रह और परिग्रह में लगे हुए का नाम ही जरासंध है। रजोगुण ही काम और क्रोध का पिता है। प्रत्येक इंद्रिय से भक्ति करो, पाप से बचे रहोगे। निश्चय करो- आज से मुझे नया पाप नहीं करना है। वक्ता या श्रोता कि तन्मयता में विक्षेप पैदा करने वालों को बहुत पाप लगता है। पाप से सावधान रहो, पाप से बचते रहो। हम थोड़े से सुख के लिए पाप की कितनी गठरी उठाते हैं। पैसा और कामसुख, इन दोनों के लिए ही मनुष्य पाप करता है। पाप करो या नहीं, पैसा तो प्रारब्ध के अनुसार ही मिलेगा। फिर व्यर्थ ही पाप का बोझ क्यों उठाया जाए। मनुष्य को यदि सच्चे सुख का पता लगे तो वह झूठे सुखों के लिए पाप ही न करे। काम और दाम के लिए ही सब पाप होते हैं। आज से निश्चय करो कि- आज से नया पाप नहीं करेंगे। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि- कल धुवनकला टोंक राजस्थान के भक्त शिरोमणि श्री धन्ना जी, जिनकी कथा भक्तमाल में श्री नाभा गोस्वामी ने जी ने बड़े विस्तार से गाया है उस कथा का गान किया जाएगा। एवं श्री सीताराम विवाह की कथा का गान किया जायेगा, उत्सव महोत्सव मनाया जायेगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग गोवर्धन जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।