पॉलिसी नंबर गलत होने पर भी बीमा कम्‍पनी को देना पड़ा पैसा,जाने क्‍या है पूरा मामला   

Jharkhand News झारखंड हाईकोर्ट के न्‍यायधीश जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने ये महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा है कि यदि बीमाकर्ता अपनी ओर से सही पॉलिसी बनाने में असफल रहता है तो केवल इस आधार पर बीमा कंपनी अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकती। इस बात को ध्‍यान में रखते हुए कहा है कि दावेदार सटीक पालिसी नंबर जानें। उन्होंने यह नंबर कहीं से प्राप्त कर न्यायाधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किया था।

ट्रिब्यूनल आदेश को दी गई चुनौती

हाईकोर्ट अदालत ने कंपनी के अपील को खारिज करते हुए कहा कि मुआवजा भी देने की जिम्‍मेदारी इन्‍ही की होगी ऐसा निर्देश दिया है। इस संबंध में सवाल उठाया गया कि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की ओर से हाईकोर्ट में अपील दाखिल किया जाय। जिसमें कंपनी ने 20.49 लाख के मुआवजे देने के ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी।

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लीलमुनि मैदयन की पति और पिता की मृत्यु सड़क दुर्घटना में हो गई थी। इसके दौरान उनकी ओर से मुआवजा के लिए याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में प्रार्थी ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि चालक की लापरवाही और तेज गति के कारण सड़क हादसा हुआ, जिससे दोनों की मौत हुई।

इसमें उसका पति घर का कमाने वाला अकेला सदस्य था। तभी हर बात को मद्देनजर रखते हुए सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी ने अदालत को बताया कि ट्रिब्यूनल के समक्ष सही बीमा पालिसी प्रस्तुत नहीं की गई। किसी भी कारण गलत पालिसी नंबर के आधार पर बीमा कंपनी पर दायित्व नहीं डाला जा सकता।

सभी बातों को ध्‍यान में रखते हुए कहा गया है कि वाहन मालिक को भुगतान के लिए उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए। इस मामले में पोस्टमार्टम भी नहीं हुआ। इसके बावजूद ट्रिब्यूनल ने मुआवजा दे दिया। अदालत ने बीमा कंपनी के तर्क को अस्वीकार करते हुए ट्रिब्यूनल का निर्णय बरकरार रखा और बीमा कंपनी की अपील खारिज कर दी। 

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