MP: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंगलवार को राज्य स्तरीय “10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस” का शुभारंभ कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में दोपहर 3 बजे करेंगे. कार्यक्रम में साथ ही आयुष वैलनेस टूरिज्म अंतर्गत आयुष विभाग एवं पर्यटन विभाग के मध्य एमओयू होगा. मुख्यमंत्री डॉ. यादव आयुष जनस्वास्थ्य कार्यक्रम का 55 जिले की 55 इकाई में प्रसार एवं कैंसर रोगियों के लिए “कारुण्य” कार्यक्रम और औषधि पौधों के लिए हेल्पलाइन का शुभारंभ करेंगे. साथ ही एस.एम.पी.बी. की ‘मध्य हर्बल दर्पण’ पत्रिका का विमोचन और जन आरोग्य समिति की नियमावली का विमोचन भी करेंगे. कार्यक्रम स्थल पर आयुष विभाग द्वारा प्रदर्शनी भी लगाई जायेगी.
इस अवसर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री एवं भोपाल जिले के प्रभारी मंत्री चैतन्य काश्यप, खेल एवं युवा कल्याण और सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, विमुक्त घुमन्तु और अर्द्धघुमन्तु कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार कृष्णा गौर और संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी सहित गणमान्य जनप्रतिनिधि एवं विभागीय अधिकारी भी शामिल होंगे.
10वां राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की शुरुआत आयुष मंत्रालय ने 2016 में की थी. यह दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि के जन्मदिवस की तिथि पर प्रारंभ किया गया था लेकिन अब हर साल इसे 23 सितंबर को मनाया जाता है. आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो हजारों वर्षों से मानव स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उपयोगी रही है. ये लगभग 5000 वर्ष पुरानी चिकित्सा पद्धति है जो शरीर, मन और पर्यावरण के संतुलन पर आधारित है. यह न सिर्फ रोग निवारण बल्कि रोग के रोकथाम और लंबी आयु पर भी जोर देता है. राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का उद्देश्य आयुर्वेद की समृद्ध परंपरा को संरक्षित करना और इसे वैश्विक स्तर पर प्रचारित करना है.
क्यों खास है 23 सितंबर की तारीख?
आयुर्वेद निवारक स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अब तक आयुर्वेद दिवस धनतेरस के दिन मनाया जाता था. हिंदू कैलेंडर पर आधारित होने के कारण आयुर्वेद अंग्रेजी कैलेंडर पर इसकी तारीख हर साल बदलती रहती थी.
आयुष मंत्रालय ने यह भी उल्लेख किया कि अगले दशक में धनतेरस की तारीख 15 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच व्यापक रूप से बदलती रहेगी, जिससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजनों को करने में तार्किक चुनौतियां उत्पन्न होंगी.
इस असंगति को दूर करने और राष्ट्रीय तथा वैश्विक उत्सवों के लिए एक स्थिर संदर्भ बिंदु स्थापित करने के लिए आयुष मंत्रालय ने उपयुक्त विकल्पों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया. विशेषज्ञ पैनल ने चार संभावित तारीखों का प्रस्ताव रखा, जिसमें 23 सितंबर की तारीख सर्वश्रेष्ठ विकल्प के रूप में सामने आई. यह निर्णय व्यावहारिक और प्रतीकात्मक दोनों विचारों पर आधारित था.
नई तारीख 23 सितंबर, शरद विषुव के साथ मेल खाती है, जब दिन और रात लगभग बराबर होते हैं. यह खगोलीय घटना प्रकृति में संतुलन का प्रतीक है, जो आयुर्वेद दर्शन के साथ पूर्ण रूप से मेल खाती है, जो मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन पर जोर देती है.
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