Varanasi: श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन के साथ ही बाबा के आरती में शामिल होने का विशेष फल मिलता है। यही कारण है कि भक्तों में श्रावण माह के दौरान मंगला आरती में सम्मिलित होने को लेकर सबसे ज्यादा आकर्षण रहा। भोर में होने वाली मंगला आरती में 23 हज़ार से अधिक शिव भक्त शामिल हुए। वहीं, चारों आरती को मिलकर सावन माह में आरती में शामिल होने वालो की संख्या 38 हज़ार से अधिक थी। उल्लेखनीय है कि श्री काशी विश्वनाथ धाम के नए अवतरण के बाद धाम में इस वर्ष सावन में रिकॉर्ड 1 करोड़ 63 लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन किए हैं।
बाबा विश्वनाथ की दिन में 5 बार होती है आरती
सनातन धर्म में आस्था रखने वाला हर कोई विश्वेश्वर का दर्शन करने के साथ ही भक्त बाबा के आरती भी शामिल होना चाहते है। काशी पुराधिपति की पांच दैनिक आरती होती है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रधान ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ के दिन की शुरुआत बाबा को जगाने के साथ भोर के मंगला आरती से होती है। दोपहर में भोग आरती, संध्या को सप्तऋषि आरती और उसके बाद श्रृंगार भोग आरती होती है। रात्रि में महादेव के शयन के समय शयन आरती होती है, जिसमें टिकट बिक्री नहीं होती है। काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि श्रावण माह में टिकट के माध्यम से चारों दैनिक आरती में शामिल होने वाले भक्तों की संख्या 38,005 थी। जबकि पूरे सावन में 1,63,17,000 श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगाई है। श्रावण माह में भक्तों ने 16.89 करोड़ का बाबा को चढ़ाया चढ़ावा है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष सावन अधिकमाह के कारण दो महीने का था।
सावन माह के अधिमाह में आरती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या
मंगला आरती 23373
भोग आरती 4268
सप्तऋषि आरती 6134
श्रृंगार भोग आरती 4230
ब्रह्म मुहूर्त में बाबा विश्वेश्वर खुद रहते हैं विराजमान
श्री काशी विश्वनाथ धाम के अर्चक श्रीकांत मिश्र ने बताया कि भगवान श्री विश्वेश्वर अरुणोदय के समय ब्रह्म मुहूर्त में खुद मंदिर में विराजमान रहते है। मंगल बेला में मंगला आरती के समय भगवान को जगाया जाता है। मंदिरों में होने वाली आरती विशेष फलदायी होती है। आरती में शामिल होने से भक्तों में ऊर्जा का संचार होता है।