Uttarakhand: केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों को विकसित करने की योजना बनाई गई है. उत्तराखंड में सीमावर्ती गांवों का विकास जल्द शुरू होने वाला है. इसके लिए 75 करोड़ का बजट भी सेशन हो चुका है. इस योजना में 10 गांवों को मॉडल पर्यटक ग्राम बनाया जाएगा. योजना का मुख्य उद्देश्य पलायन रोकना है.
10 गांवों को मॉडल पर्यटक ग्राम बनाने की तैयारी
सीमावर्ती गांवों को जीवंत बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार का महत्वाकांक्षी वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम उत्तराखंड के गांवों की तस्वीर संवारने जा रहा है. इसी कड़ी में चीन सीमा से सटे उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ जिलों के 10 गांवों को मॉडल पर्यटक ग्राम बनाने की तैयारी है. इन गांवों को पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जाएगा, ताकि ये गांव एक मॉडल के रूप में विकसित हो और बाद में इन जैसे अन्य गांव भी आगे बनाए जाए.
वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम 2.0
कुछ समय पहले वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम 2.0 के अनुसार केंद्र ने नेपाल सीमा से सटे उत्तराखंड के 40 गांव सम्मिलित किए थे. इनमें चंपावत के 11, पिथौरागढ़ के 24 व ऊधम सिंह नगर जिले के पांच गांव हैं. मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन और सचिव ग्राम्य विकास राधिका झा के निर्देशों के क्रम में इन गांवों के विकास का खाका खींचा जा रहा है. इसके लिए नोडल अधिकारी बनाए जा चुके हैं. किस गांव में क्या-क्या काम हो सकते हैं, इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है.
डैशबोर्ड से कार्यों की समीक्षा होगी
वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल गांवों में चल रहे कार्यों पर नजर रखने को संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी की तैनाती की गई है, जो संबंधित जिलों के सीडीओ के संपर्क में रहेंगे. डैशबोर्ड के माध्यम से भी कार्यों पर नजर रखी जा रही है. हर 10 दिन में कार्यों की समीक्षा होगी.
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