वॉशिंगटन। मंगल ग्रह पर भी अब पानी होने का संकेत मिलनें लगें है। बता दें कि नासा के पर्सीवरेंस रोवर और चीन के झुरोंग रोवर को मंगल ग्रह पर बहती नदियों और भीगे हुए रेत के टीलों के संकेत मिले हैं। चीन के रोवर ने पाया कि आज से करीब 4 लाख साल पहले अत्यधिक ठंड पड़ने के कारण रेत के टीले जम कर कड़े हो गए होंगे। वहीं नासा के पर्सीवरेंस को जो संकेत मिले हैं उसके मुताबिक बताया जा रहा है कि ताकतवर जलमार्ग ने जेजीरो क्रेटर में अपना रास्ता बनाया होगा, जिसके कारण इसमें ठीक-ठाक मात्रा में पानी गिरा होगा।
नासा के पर्सीवरेंस को मगल की अब तक की सबसे बड़ी नदी मिली है। जिसका चट्टानों के आकार से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह नदी कुछ जगहों पर 66 फीट से ज्यादा गहरी थी। वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि यह संरक्षित नदी के किनारे की रेत थी।
यूटा में ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के शोधार्थी जानी राडेब का दोनों जानकारियों को लेकर कहना है कि, यह बहुत अहम जानकारी है जो दूसरे ग्रह की सतह के बारे में हमें बता रही है।
नेट जियो की रिपोर्ट बताती है कि चीन के रोवर ने मंगल की सतह पर पानी के निशान खोजे हैं। रोवर के करीब रेत के टीले पर एक तरह की पपड़ी बन गई थी जो पानी के खनिजों के संपर्क में आने से बनी होगी। हो सकता है कि पूर्व में पानी यहां इन रेत के टीलों पर पाले की वजह से आया होगा या हजारों साल पहले ग्रह के झुकाव की वजह से इस क्षेत्र में बर्फ गिरी होगी।
ब्राउन यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक और नासा के मंगल उत्सुकता मिशन के सदस्य राल्फ मिल्लिकेन का कहना है कि मंगल पर पाई जाने वाली धूल खनिज से लबरेज है जो हवा में मौजूद पानी को सोख सकती है। यदि यह सामग्री रेत के टीलों को ढक लेती है, तो मौसम में आए बदलाव से पैदा हुई आर्द्रता धूल से पानी को सोख सकती है और फिर बिना तरल बने उसे छोड़ सकती है। मिलिकेन ने कहा कि यह वह प्रक्रिया है जो मंगल ग्रह पर अलग-अलग जगह पर हो सकती है।
जहां चीन के रोवर ने भीगे हुए रेत के टीलों की जांच की। वहीं पर्सीवरेंस ने एक शक्तिशाली धारा के अवशेषों की खोज की। नासा के रोवर ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं, उसके हिसाब से ग्रह पर प्राचीन समय में एक नदी बहा करती थी जो काफी गहरी थी। और इसका बहाव काफी तेज था. यह नदी उस जलमार्ग के नेटवर्क का हिस्सा था जो जेजीरो क्रेटर में बहता था। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह वही क्षेत्र है जहां रोवर पिछले 2 सालों से सूक्ष्म जीवों के जीवन के संकेतों की उम्मीद में खोज कर रहा है।
एक विज्ञप्ति के द्वारा यह साफ हो जाता है कि एक ताकतवर नदी अपने साथ बहुत सारा मलबा लेकर आई है। नदी का बहाव जितना शक्तिशाली होता है वह उतनी आसानी से बड़े टुकड़ों को बहा कर ला सकती है। दूसरे ग्रह पर इस तरह की चट्टानों का दिखना और परिचित प्रक्रियाओं का होना बेहद खुशी की बात है।