biggest war exercise in Australia: चीन के खिलाफ लडाई लडने के लिए विश्व के 11 देशों ने युद्धाभ्यास करना आंरभ कर दिया है। जिसमें भारत-अमेरिका समेत कुल 30 हजार से ज्यादा सैनिक शामिल हो रहे है। कहा जा रहा है कि यह अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास शुरू हो रहा है। इस युद्धाभ्यास को भारत समेत चार देश ऑब्जर्व कर रहे हैं। इस युद्धाभ्यास को चीन की चुनौती से निपटने के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि चीन लगातार हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को बढ़ा रहा है, यही वजह है कि इस युद्धाभ्यास को बेहद अहम माना जा रहा है।
ये देश हो रहे है शामिल
ऑस्ट्रेलिया में विभिन्न स्थानों पर हो रहे इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के साथ ही फिजी, फ्रांस, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी के सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। वहीं भारत, सिंगापुर, फिलीपींस और थाइलैंड इस युद्धाभ्यास के ऑब्जर्वर हैं। मुख्य बात तो ये है कि अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया विवादित ताइवान स्ट्रेट में भी युद्धाभ्यास करेंगे। यहीं पर चीन ने बीते दिनों युद्धाभ्यास किया था। ऑस्ट्रेलिया अमेरिका के ताइवान स्ट्रेट में युद्धाभ्यास से चीन नाराज हो सकता है।
हिंद प्रशांत महासागर वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अहम
दरसल, हिंद प्रशांत महासागर वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम माना जाता है। दुनिया का 80 प्रतिशत व्यापार इसी क्षेत्र से होता है। ऐसे में अगर इस क्षेत्र में अस्थिरता या सुरक्षा को लेकर कोई दिक्कत होती है तो इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और सप्लाई चेन बाधित हो सकती है। यूक्रेन युद्ध की वजह से यह पहले ही बाधित चल रही है।
ऑस्ट्रेलिया में हो रहे युद्धाभ्यास को तलिसमन सेब्रे नाम दिया गया है। यह युद्धाभ्यास हर दो साल में होता है और साल 2005 से इसकी शुरुआत हुई थी। इस साल यह युद्धाभ्यास इसलिए खास है क्योंकि इस बार का युद्धाभ्यास सबसे बड़ा है।
चीन ने बताया कागज का शेर
चीन ने ऑस्ट्रेलिया में हो रहे युद्धाभ्यास पर निशाना साधा है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में इस युद्धाभ्यास को कागज के शेर बताया। चीनी विशेषज्ञों का आरोप है कि अमेरिका सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के नाम पर देशों पर दबाव बना रहा है और इसकी आड़ में अपने वैश्विक आधिपत्य को बनाए रखना चाहता है।