राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री राम चरित मानस एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है, जो केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में जन-जन की आस्था का केंद्र है, भौतिकता की मृग-मरीचिका के पीछे भागते-भागते व्यक्ति थक जाता है और उसे कहीं विश्राम नहीं मिलता। वह जितना बाहर भागता है, जितना भौतिक वस्तु- व्यक्ति-परिस्थिति को पकड़ कर सुखी-शांत होने का प्रयास करता है, उतना ही उसका जीवन और अधिक दुखमय और अशांत होता चला जाता है। जिस प्रकार दलदल में फंसा कोई व्यक्ति उससे निकलने का जितना प्रयास करता है, उतना ही उसमें और अधिक फंसता चला जाता है, ठीक इसी प्रकार अपनी बुद्धि, बल, धन, पद आदि भौतिक साधनों का आश्रय लेकर व्यक्ति जब संसार की दलदल में से निकलना चाहता है, तब और अधिक उसमें फंसता चला जाता है। ऐसी परिस्थिति में जीवन को एक सही दिशा देने वाला, सत्य का बोध कराने वाला, जीवन को सुख-शांतिमय बनाने वाला अगर कोई एक आधार है, तो वह है श्रीरामचरितमानस।
जो हम जीवन जीते हैं, इसे जीवन जीना नहीं कहते। आहार, निद्रा, वंशवृद्धि- यह काम तो पशु भी करते हैं। अगर हमारा जीवन भी मात्र इन्हीं क्रियाओं तक सीमित है तो एक पशु और हममें अंतर ही क्या रहा है, मानव जीवन जीना एक कला है और इस कला का बोध होता है श्रीरामचरितमानस के माध्यम से। श्रीरामचरितमानस एक खुली प्रयोगशाला है। एक भाई-भाई का, पिता-पुत्र का, पति-पत्नी का, मित्र-मित्र का, सास-बहू का, यहां तक ही की शत्रु-शत्रु का सम्बन्ध आपस में कैसा हो, अगर यह देखना है, समझना है और जीवन में उतारना है तो आओ श्रीरामचरितमानस का आश्रय लो। इतना ही नहीं, बल्कि एक पशु-पक्षी के साथ हमारा व्यवहार कैसा हो अगर इसकी भी प्रेरणा देने वाला कोई है तो वह है श्रीरामचरितमानस।श्रीरामचरितमानस तो वह दिव्य ग्रंथ है, जिसमें विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपने पारिवारिक, सामाजिक सम्बन्धों का बिना किसी उद्वेग एवं घृणा के सहजता पूर्वक निर्वाह करते हुए दिखाया गया है। यही है श्रीरामचरितमानस का महान आदर्श। इसलिए सदियों पूर्व से ही मानव-जीवन का निर्माण करने वाले इस दिव्य ग्रंथ को जन-मानस ने आदर और श्रद्धा के साथ स्वीकार किया, आज भी कर रहा है और आगे भी करता रहेगा। मानव जीवन की ऐसी कोई व्यथा नहीं, जिसका समाधान इस ग्रंथ में न हो।
सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।