शिव खंड पर विराजमान है काशी: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सृष्टि का वर्णन, कैलाश की महिमा और उसमें भगवान शिव की भक्तवत्सलता का वर्णन, सती खंड के प्रारंभ में कैसे संपूर्ण सृष्टि हुई इसका वर्णन, भगवती सती का अवतरण, शिव और सती के मंगलमय चरित्र वर्णन, शिव द्वारा भगवती सती को नवधा भक्ति का उपदेश आदि कथा का वर्णन किया गया। रूद्र कल्प में सम्पूर्ण सृष्टि शिव से बताई गई है, जिसकी कथा श्री शिव महापुराण में है। प्रलय में सब कुछ परमात्मा में ही स्थित हो जाता है पुनः जब सृष्टि का समय आता है तो परमात्मा के द्वारा सृष्टि की जाती है। सृष्टि के अधिष्ठान भगवान विष्णु और भगवान शिव हैं। किसी कल्प में भगवान विष्णु से सृष्टि होती है और उस कल्प का नाम है श्वेत वाराह कल्प और रुद्र कल्प में सृष्टि भगवान शिव से हुई है, जिसका वर्णन शिव महापुराण में है। सृष्टि से पहले चारों वेद भगवान शिव में स्थित थे। पंचानन शिव ने सृष्टि के साथ चार मुख से चारों वेद और पांचवें मुख से इतिहास पुराण को प्रकट किये। इसलिए इतिहास पुराणानां पंचमोवेद उच्चते। इतिहास पुराण को पांचवा वेद कहा गया है। पाणिनी जैसे साधकों ने शिव की आराधना की और प्रार्थना किया कि बिना व्याकरण के पूजा, पाठ, स्तुति सब अधूरा है। प्रदोषकाल में तांडव के समय शिव ने डमरु बजाया, महेश्वर सूत्र प्रगट हुए। जिससे पूरा व्याकरण प्रगट हुआ। पूरा संसार परमात्मा से उत्पन्न होता है, परमात्मा में ही स्थित रहता है और प्रलयकाल में परमात्मा में ही लीन हो जाता है। शिवपुराण रूद्रसंहिता सृष्टिखंड में भगवान काशीवासी कैसे बने इसका वर्णन है, भगवती पार्वती के कहने से शिवलोक से काशी को धरती पर लाकर स्थापित किया। इस धरती का सबसे पहला धाम काशी है, काशी शिव खंड पर विराजमान है, प्रलयकाल में भी काशी शिव के त्रिशूल पर स्थित होने से अपने स्वरूप में स्थित रहती है। यज्ञदत्त दीक्षित के पुत्र का नाम गुणनिधि था, उससे अनजाने में शिव की पूजा बन गई, जिससे वह अगले जन्म में अरिंदम नाम का बंगाल का राजा बना। फिर उसके द्वारा शिवजी के मंदिरों में दीपदान की भक्ति बनी, जिससे वह अगले जन्म में कुबेर बना और उसकी प्रार्थना शिव ने सुनी, कुबेर अलकापुरी में रहते हैं और उसी के पास शिव कैलाश वासी बने। भगवान अपने भक्तों से इतना स्नेह करते हैं की भक्तों की इच्छा पूर्ण करने के लिए कल्पवृक्ष बन करके उनकी इच्छा पूरी करते हैं। सती खंड में भगवती सती और शिव के मंगलमय चरित्र का वर्णन किया गया है। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, चातुर्मास का पावन अवसर, महाराज श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में श्री शिवमहापुराण के सतीखंड का वर्णन किया गया, कल की कथा में भगवती पार्वती के प्राकट्य की कथा का वर्णन किया जायेगा।

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