गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कॉलेज का ट्रॉमा सेंटर रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। यहां आने वाले 80 फीसदी मरीजों को रेफर कर दिया जा रहा है। न्यूरो सर्जरी और कार्डियालॉजी विभाग में डॉक्टर नहीं होने से मरीजों को लखनऊ और शहर के निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ता है। जब से ट्रॉमा सेंटर बना, तब से हालात कुछ ऐसे ही हैं। प्रतिदिन करीब 15 मरीज लखनऊ रेफर किए जाते हैं। इनमें से कई मरीजों की लखनऊ ले जाते समय रास्ते में जान भी चली जाती है। मेडिकल कॉलेज के सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक में न्यूरो सर्जरी विभाग की ओपीडी चलती थी। कोरोना महामारी ने दस्तक दी तो इस ब्लॉक को कोरोना अस्पताल बना दिया गया। इसके बाद से ओपीडी बंद है। इस बीच इकलौते न्यूरो सर्जन डॉ. राकेश सक्सेना सेवानिवृत्त हो गए। दोबारा संविदा पर ज्वॉइन किया, लेकिन करीब डेढ़ साल पहले हादसे में घायल हो गए। इसके बाद से ओपीडी बंद है। अब न्यूरो मरीजों को केवल रेफर करने का काम मेडिकल कॉलेज से किया जा रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज की ओर से ट्रॉमा सेंटर को बेहतर बनाने और न्यूरो, कार्डियालॉजी सर्जन के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन शासन से किसी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हो सकी है। यह तब है जबकि ट्रॉमा सेंटर में चार विशेषज्ञ सर्जन की मौजूदगी 24 घंटे अनिवार्य है। इसमें न्यूरो, हार्ट, जनरल और आर्थो के सर्जन शामिल हैं। कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर से हर माह करीब 450 से अधिक मरीज रेफर किए जा रहे हैं। इनमें सबसे अधिक न्यूरो सर्जरी के मरीज शामिल हैं। कार्डियक, जनरल सर्जरी के भी मरीज रेफर किए जा रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एसआईसी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जन और कार्डियक सर्जन नहीं हैं। इसके बाद भी मरीजों को भर्ती करके इलाज किया जा रहा है। ज्यादा गंभीर स्थिति होने पर ही मरीजों को रेफर किया जाता है। तमाम गंभीर मरीज ठीक होकर अपने घर गए हैं।