नई दिल्ली। अफ्रीका में हुए परीक्षणों के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये वैक्सीन लगने के बाद मलेरिया से लड़ने की क्षमता करीब 77 प्रतिशत है और इसका 450 बच्चों पर एक साल तक परीक्षण हो चुका है। ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन नामक कंपनी द्वारा बनाए गए मॉसक्विरिक्स नामक टीके से हजारों जानें बचाए जाने की उम्मीद है। इस बीमारी का परीक्षण अफ्रीका में इसलिए कराया गया, क्योंकि यहीं के देशों में हर साल हजारों बच्चे इस बीमारी से मारे जाते हैं। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रॉस अधनोम ग्रेब्रेयेसिस ने यूएन के दो सलाहकार समूहों का समर्थन मिलने के बाद इस वैक्सीन को मंजूरी की घोषणा की और इसे ऐतिहासिक पल बताया। उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन को अफ्रीका में अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने तैयार किया है और हमें उन पर गर्व है। मलेरिया का कारगर इलाज ढूंढने की कोशिश पिछले 80 साल से चल रही है और करीब 60 साल से टीके के विकास पर शोध जारी है लेकिन 80 के दशक में ये बात सामने आई कि मलेरिया के मच्छर के प्रोटीन से वैक्सीन बनाई जा सकती है। तब से अब तक लगातार कोशिश जारी थी लेकिन 2019 में कई दौर के ट्रायल के बाद ही साफ हो पाया कि मलेरिया की वैक्सीन कारगर है। इसे अब मान्यता मिल चुकी है।