देश के गर्म इलाकों में भी अब होगा हिमाचल की कांगड़ा चाय का उत्पादन

हिमाचल प्रदेश। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर अब चाय में किसानों की आर्थिकी मजबूत करेगा। विवि चाय का उत्पादन बढ़ाने के लिए चाय गैर पारंपरिक क्षेत्रों में चाय की खेती पर शोध कर इसके विकास गतिविधियों पर अपना काम करेगा। इसके लिए अभियान चलाया जा रहा है। आने वाले दिनों में कांगड़ा के अलावा देश व हिमाचल प्रदेश के अन्य जिलों में भी चाय की पैदावार हो सकेगी, जिसका ट्रायल शुरू कर दिया गया है। विवि के कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने कहा कि भूखंड प्रदर्शनी और अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के तहत विभिन्न जिलों में स्थित विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्रों और अनुसंधान केंद्रों-मलां, कांगड़ा, बड़ा, बरठीं, सुंदरनगर, बजौरा व धौलाकुआं में चाय बागान लगाने के उद्देश्य से यह पौधरोपण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे इन केंद्रों में आने वाले दर्शकों तथा चाय पौधरोपण की चाह रखने वालों में जागरूकता और रुचि पैदा होगी। उन्होंने आशा जताई कि विवि की ओर से पहली बार शुरू की गई इस नई पहल से कांगड़ा तथा राज्य के अन्य गैर-पारंपरिक भागों-हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, कुल्लू और सिरमौर जिलों में चाय की खेती का दायरा बढ़ाने के साथ-साथ चाय खेती पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जानकारियां मिल सकेंगी। इस कार्यक्रम के तहत पहले चरण में 800 चाय के नए पौधे लगाए गए। चाय निर्यात नीति के तहत पहचानी गई ‘हेरिटेज कांगड़ा टी’ पर सामान्य जागरूकता प्रसार के लिए कुलपति ने भारत सरकार के चाय बोर्ड तथा राज्य चाय इकाई के अधिकारियों और विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ बैठक करने के बाद यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। कुलपति ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर चाय खेती के अंतर्गत घटती भूमि के दृष्टिगत बगीचों के एकीकरण व विस्तार से किसानों की आय दोगुनी करने की संभावना तलाश रहा है।

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