चंद्रयान-2 ऑर्बिटर और नासा के एलआरओ का टला संभावित टकराव

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-2 ऑर्बिटर और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) के बीच अंतरिक्ष में बीते 20 अक्टूबर को टक्कर होने की आशंका पैदा हो गई थी, जिसे चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के मार्ग में परिवर्तन कर टालने में इसरो ने कामयाबी हासिल कर ली। इसरो ने एक बयान जारी कर बताया कि 20 अक्टूबर को सीएच2ओ और एलआरओ भारतीय समयानुसार दिन के 11.15 बजे चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के पास एक-दूसरे के बेहद करीब आने वाले थे। इसरो के बयान के अनुसार दोनों ही एजेंसियों ने एक सप्ताह पहले से स्थिति का विश्लेषण करना शुरू कर दिया था और इस नतीजे पर पहुंचे थे कि निर्धारित समय पर दोनों ऑर्बिटर के बीच रेडियल दूरी 100 मीटर से भी कम जबकि बिलकुल नजदीकी पहुंच दूरी करीब 3 किलोमीटर रह जाएगी। दोनों एजेंसियों ने माना कि दोनों के संभावित टक्कर को टालने के लिए उपाय करने (सीएएम) की जरूरत है। इसके लिए सीएच2ओ की कक्षा को बदलना होगा। इसके बाद इसरो ने 18 अक्तूबर को भारतीय समयानुसार सुबह 8.22 बजे चंद्रयान2 ऑर्बिटर की नई कक्षा निर्धारित की और ये भी सुनिश्चित किया कि निकट भविष्य में दोनों की ऐसी कोई निकटता न हो। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर की तरह एलआरओ भी चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में परिक्रमा करता है और इसलिए, दोनों अंतरिक्ष यान चंद्र ध्रुवों पर एक दूसरे के करीब आते हैं।

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