भक्त सगुण साकार की करते हैं उपासना: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। प्रश्न- क्या ईश्वर साकार है या निराकार? साकार की उपासना बेहतर है या निराकार की? उत्तर- परमात्मा का अर्थ है परम अस्तित्व। सर्वं खलु इदं ब्रह्म- शंकराचार्य जी कहते हैं विवेक चूड़ामणि में कि सब कुछ ब्रह्म है, ब्रह्म के सिवा कुछ भी नहीं। इसलिये निराकार साकार सब कुछ परमात्मा के ही स्वरुप हैं। पदार्थ विज्ञान कहता है, पदार्थ के तीन रूप होते हैं। वायु (गेस) द्रव (लीक्वीड) और घन (सोलीड) घन और द्रव रूप हम अपनी आंखों से देख सकते हैं। वे साकार हैं। वायु दिखाई नहीं देती फिर भी वह है। वह निराकार है। श्री रामचरितमानस में कहा गया है- अगुन सगुन दुइ ब्रह्म स्वरूपा,बालकांड 23/निर्गुण-सगुण दोनों ही ईश्वर के रूप हैं। 1- ज्यादातर ज्ञानी निराकार ब्रह्मस्वरूप बन जाते हैं और मुक्त हो जाते हैं। 2- भक्त सगुण साकार की उपासना करते हैं। निराकार में मन लगाना कठिन है। श्रीमद् भगवत् गीता के 12 वें अध्याय में भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं- अव्यक्ता हि गतर्दुःखं देहवद्भिः भरवाप्यते। शरीर धारियों के लिये अव्यक्त में मन लगाना कठिन है। इसलिए उपासना सगुण साकार की ही बन पाती है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना- श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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