नई दिल्ली। हिंदू धर्म में कई व्रत और त्योहारों की मान्यता हैं। इन व्रत- त्योहारों में स्नान, दान, तप और जाप करने के विशेष महत्व है। इसी में पूर्णिमा तिथि खास तिथि मानी जाती है। पंचांग के अनुसार हर माह पूर्णिमा तिथि आती है ऐसे में पौष माह की पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी को है, जिसके बाद माघ आरंभ हो जाएगा।
शास्त्रों में शुक्ल पक्ष को देवताओं का समय कहा जाता है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के साथ साथ विष्णुजी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन दान करने से व्यक्ति के पाप कटते हैं और अमोघ फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में पूर्णिमा के व्रत को भी बहुत शुभ माना गया है।
पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में थोड़ा गंगा जल डालकर स्नान करें। इसके बाद भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें। इसके उपरांत विधिपूर्वक भगवान सत्यनारायण का पूजन करें और पुष्प, फल, मिठाई, पंचामृत और नैवेद्य अर्पित करें। इसके उपरांत भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें या पढ़ें।
दिन भर व्रत रखकर भगवान का मनन करें। रात में चंद्र दर्शन करके चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपना व्रत खोलें। पूर्णिमा का व्रत रखने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि जीवन में काफी परेशनियां हैं तो पूर्णिमा का व्रत आपकी सभी समस्याएं दूर करेगा। पूर्णिमा का व्रत वैवाहिक जीवन को सुखद बनाता है और पति पत्नी के बीच प्रेम बढ़ाता है।