नई दिल्ली। देशवासियों को ईंधन व गैस के मूल्य में बढ़ोतरी के बाद महंगाई की एक और बूस्टर खुराक मिलने वाली है। एक अप्रैल से 800 आवश्यक दवाओं की कीमतों में 10.7 फीसदी की बढ़ोतरी होने वाली है।
इनमें बुखार की बुनियादी दवा पैरासिटामॉल भी शामिल है। राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारक प्राधिकरण ने शुक्रवार को इन दवाओं के थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव को मंजूरी दी। इसका मतलब है कि एक अप्रैल से करीब 800 आवश्यक दवाओं की कीमतें बढ़ जाएंगी।
ये वो दवाएं हैं, जो अधिकांश आम बीमारियों के इलाज के काम आती हैं। एनपीपीए के नोटिस में कहा गया है कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के आधार पर दवाओं के मूल्य में 10.76 फीसदी की बढ़ोतरी की इजाजत दी जाती है।
ड्रग (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के प्रावधानों के अनुसार यह फैसला किया गया है। इस तरह एक अप्रैल से बुखार, संक्रमण, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, चर्मरोग व खून की कमी जैसे रोगों के उपचार के काम आने वाली दवाएं महंगी हो जाएंगी।
इन दवाओं के ड्रग्स जैसे पैरासिटामॉल, फेनोबार्बिटोन, फिनाइटोइन सोडियम, एजिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड और मेट्रोनिडाजोल शामिल हैं। यूक्रेन संकट के कारण विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतें फिर लगातार बढ़ रहीं हैं, वहीं हाल ही में गैस के दाम भी बढ़ा दिए गए हैं। बढ़ती महंगाई का मुद्दा संसद के चालू बजट सत्र में विपक्ष ने हाल ही में जोर शोर से उठाया था।