नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के युद्ध की वजह से भारत को अपना गेहूं निर्यात बढ़ाने का मौका मिला है। इनके बीच चल रहे युद्ध के चलते दुनिया भर में भले कच्चे तेल और कई चीजों के दाम बढ़े हुए हैं लेकिन इस जंग का फायदा अपने देश के किसानों को जरूर मिलता दिखाई दे रहा है। यह एक आशावादी और राहत भरी खबर है। इस बार केंद्र सरकार की ओर से भारत में गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है, लेकिन खुले बाजार में गेहूं का दाम 2250 से लेकर 2300 प्रति क्विंटल तक चल रहा है। भारत ने इस साल अभी तक पिछले साल की तुलना में तीन गुना से अधिक गेहूं का निर्यात किया है।
वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में बताया कि इस वर्ष 21 मार्च 21 तक 70. 35 लाख टन गेहूं का निर्यात किया जा चुका है जो कि सबसे ज्यादा है। कीमत के हिसाब से करीब 203 करोड़ डालर। गत वर्ष भारत ने सिर्फ 21.55 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था। आगे 22- 23 में भारत एक करोड़ टन गेहूं विदेश भेज सकता है। फिलहाल भारत के पास गेहूं का विशाल भंडार मौजूद है और निर्यात की मांग को हर स्तर पर पूरा कर सकता है। वैश्विक स्तर पर वर्तमान में गेहूं की कीमतें 10 साल के उच्चतम स्तर पर चल रहा हैं। भारत के गेहूं की कीमतें भी वैश्विक स्तर पर 320 डालर से बढ़कर 360 डालर प्रति टन तक पहुंच गया है।
खास बात यह है कि इससे गेहूं उत्पादन के मामले में भारत एक समृद्ध राष्ट्र होने के बावजूद अभी तक अपनी उपज का केवल एक प्रतिशत ही निर्यात कर पाता है। वह भी ज्यादातर अपने पड़ोसियों बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को। अब तक वैश्विक स्तर पर रूस और यूक्रेन, दोनों देश मिलकर गेहूं की आपूर्ति का लगभग एक चौथाई हिस्से का निर्यात करते हैं लेकिन इस बार दोनों में युद्ध चल रहा है जिसके चलते गेहूं की वैश्विक आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में पूरी दुनिया में गेहूं सहित अन्य कृषि उत्पादनों, उत्पादों के निर्यात की मांग लगातार बढ़ रही है और भारत इसे पूरा कर पाने में भारत सक्षम भी दिखाई दे रहा है।
वैश्विक संकट के दौर में भारत की खेती और किसानी एक रिकार्ड बनाने की ओर अग्रसर है। देश के किसानों की मेहनत, कृषि वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन और भारत सरकार की नीतियों के चलते ऐसा हो पाना संभव हो रहा है। खाद्यान्नों से लेकर तिलहन, दलहन, गन्ना उत्पादन में भी रिकार्ड वृद्धि होने का अनुमान है। भारत में खाद्यान्नों के भंडार और रिकार्ड उत्पादन को देखते हुए वैश्विक स्तर पर निर्यात बढ़ाने का एक अच्छा मौका मिला है। अगर निर्यात बढ़ा तो निश्चित रूप से इसका लाभ किसानों को मिलेगा।