लखनऊ। धार्मिक पर्व पर बिना अनुमति जुलूस और शोभा यात्रा निकालने पर रोक लगाकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उचित और सख्त कदम उठाया है। रामनवमी और हनुमान जन्मोत्सव की शोभायात्रा में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हुए दंगों से जहां सामाजिक ताना-बाना छिन्न भिन्न हुआ वहीं देश में एक दूसरे के प्रति कटुता का भाव भी बढ़ा। सरकारी महकमें को जो नुकसान झेलना पड़ रहा है वह अलग ही है। तो क्या आज के परिवेश में धार्मिक पर्वों तथा आयोजनों पर सुरक्षा चुनौती बन गया है। ऐसा नहीं है बस ऐसे में प्रशासन की सख्ती बहुत जरूरी है।
देश में अमन-चैन के लिए जरूरी है कि हमारे पर्व और आयोजन निर्विघ्न संपन्न हो। आपसी सद्भाव बढ़े। उत्तर प्रदेश सरकार ने आगे के लिए जो फरमान सुनाया है वह बहुत ही सराहनीय कदम है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि केवल उन्हीं धार्मिक जुलूस या शोभायात्रा को अनुमति दी जाए जो पारंपरिक हो। नए आयोजनों को कभी अनुमति न दी जाए। किसी भी जुलूस या शोभा यात्रा की अनुमति देने से पूर्व आयोजक से शांति, सौहार्द कायम रखने के संबंध में शपथ पत्र लिखवा कर लिया जाना भी जरूरी होगा।
ऐसा अक्सर देखा जाता है कि ऐसे आयोजनों में शामिल अराजक तत्व माहौल खराब करने का प्रयास करते हैं। जुलूस और शोभा यात्रा के दौरान ड्रोन की मदद से अराजक तत्वों पर भी नजर रखी जाए जिससे समय रहते उन पर लगाम लगाया जा सके। अब योगी सरकार में अराजक तत्वों पर कड़ी नजर रखते हुए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई किया जा रहा है जिसका असर यह है कि हर जगह माहौल बेहतरीन होने की संभावना बढ़ रही है। किसी भी प्रकार के दंगे देश के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल असर डालते हैं। पर्वों पर, संवेदनशील स्थानों पर व्यापक सुरक्षा व्यवस्था भी बहुत जरूरी है। कुछ लोग यह मन बनाकर ही निकलते हैं कि पर्वों या आयोजनों को में खलल डालना है। ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित हो। इसके लिए बहुत जरूरी है कि आयोजकों की जिम्मेदारी भी तय होनी ही चाहिए, साथ ही पुलिस प्रशासन की जवाबदेही भी निश्चित हो। इसके बाद ही आयोजनों और माहौल को सही रखा जा सकता है। इसके लिए प्रशासन को सख्त होना बहुत जरूरी है।