नई दिल्ली। मानसून आने में अभी समय है लिहाजा आगे तीखी गर्मी और ताप-लहरें बनने का क्रम शुरु हो गया है जिससे गर्मी की रौद्रता बढ़ गई है। ऐसे में बिजली की मांग में भारी बढ़ोतरी हुई है। इधर उत्पादन में कमी की वजह से राज्यों में पावर कट के हालात पैदा हो गए है। कारण बताया जा रहा है कि ताप बिजली घरों को पूरी तरह से कोयला आपूर्ति नहीं हो पा रही है। चरम तापमान मानव स्वास्थ्य, पशु-पक्षी, कृषि और कारोबार के लिए भी घातक होता है। इससे निबटने के लिए एक ढांचागत कार्यक्रम नीति बनाने की जरूरत है।
पर्यावरण बदलाव पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) दुनिया के तमाम इलाकों में ताप लहरों की संख्या और तीव्रता में वृद्धि होने के अलावा ग्रीष्म ऋतु लंबी खिंचने एवं सर्दी छोटी होने के बारे में लगातार चेतावनी देता आया है। अगस्त 2021 में आईपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में चेताया था कि वैश्विक तापमान में दो डिग्री सेल्सियस बढ़ने से बनी भीषण गर्मी की तीव्रता अक्सर मानवीय शरीर और कृषि की सहन योग्य क्षमता के आसपास बनी रहेगी।
इंडियन नेटवर्क फॉर क्लाइमेट चेंज एसेस्मेंट के मुताबिक भूमि-सतह पर वायु तापमान के वार्षिक औसत में 1.7 से दो डिग्री की वृद्धि होने पर भारत में ऊपर बताये सभी प्रभाव महसूस किये जायंगे। मौसम अंतर से असर और ताप-चरमता सहित इसके अनेकानेक रूप अब एकदम साफ दिख रहे हैं। ओडिशा में आईआईपीसी द्वारा किये एक अध्ययन में पाया गया है कि मलिन बस्तियों में रहने वालों को जोखिम सबसे अधिक है, जो उनके घरों की बनावट, गर्म होने वाली छत (टीन या एस्बेस्ट्स), एक ही कमरे में कई जन, बिजली आपूर्ति एवं पानी पर्याप्त न होने की वजह से है।
ताप पर आईआईपीएच-गांधीनगर का एक पूर्व अध्ययन इस विषय पर देशव्यापी जोखिम आकलन अध्ययन करवाने की जरूरत को बल देता है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक निष्कर्ष है कि देश के कुल 640 जिलों में दस बहुत अधिक जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं, जबकि अन्य 97 जिले उच्च जोखिम श्रेणी में हैं। इनमें अधिकांश मध्य भारत के हैं। समाज के विभिन्न वर्गों में भी कुछ तबकों को जोखिम अधिक है लेकिन गरीब किसी भी वर्ग का हो उसे ज्यादा खतरा है। यह केवल मनुष्य नहीं है जिसे ताप का प्रकोप सहना पड़ता है, फसलें और पशुधन भी प्रभावित होते हैं। बदलते तापमान का कृषि उत्पादन पर असर का अध्ययन करने के लिए कुछ वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।
बढ़ती गर्मी दुग्ध उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव डाल रही है। ताप लहर का प्रभाव घटाने के लिए हमें नयी तकनीक एवं उपाय करने वाला मार्गदर्शक मानचित्र बनाने की भी जरूरत है। हमें ताप लहरों का पूर्वानुमान एवं आसान भाषा और प्रारूप में जन-चेतावनी प्रेषित करने की आवश्यकता है। भीषण गर्मी से बचाव के लिए कुछ आसान उपाय, जैसे कि छत पेंट करना, इसके निर्माण में ताप रोधक सामग्री लगाना, आर पार हवा के लिए खिड़की का प्रावधान इत्यादि से अंदरूनी तापमान कम कर सकते हैं।