यह क्या कर रही सरकार…?

नई दिल्ली। बेरोजगारी, आज देश की सबसे बड़ी समस्या के साथ ही केन्द्र और राज्य सरकारों के समक्ष कठिन चुनौती भी है। ऐसी स्थिति में भारतीय रेल में बीते छह साल में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 12 हजार से अधिक पद का समाप्त किया जाना और सभी जोनल रेलवे को 81 हजार पद और समाप्त करने का प्रस्ताव हतप्रभ करने वाला है। सरकार की ओर से जहां नये पद के सृजन की बात होती है वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में पद समाप्त करने का निर्णय गम्भीर चिन्ता का विषय है।

सरकार का यह मानना कि आधुनिकता के दौर में समाप्त किये गये पद गैर-जरूरी हैं, भले ही सही हो लेकिन इससे मैन पावर कम होने से ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका बनी रहेगी। रेलवे कोई छोटा विभाग तो है नहीं, यदि इन पदों का समाप्त किया जाना जरूरी है तो अवश्य करें लेकिन सेवा मुक्त हुए कर्मचारियों को किसी अन्य पद पर समायोजित किया जाना चाहिए, इससे रेलवे का मैन पावर भी बना रहेगा और कर्मचारियों को भी राहत मिलेगी।

अभी कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय कार्यालयों में रिक्त पदों पर भर्ती के निर्देश के साथ राज्य सरकारों से इसका अनुकरण करने का अनुरोध किया था जो बेरोजगारी से निबटने की दिशा में मजबूत और सार्थक कदम है। कोरोना संक्रमण काल और दैवी आपदाओं के चलते निजी कारोबार गम्भीर रूप से प्रभावित हुए हैं और बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं। बेरोजगारी बढ़ने से लोगों की क्रयशक्ति कम हुई है जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। ऐसी परिस्थिति में जो स्थितियां बन रही हैं उसमें नये पदों का सृजन समय की मांग है। जिनकी सेवा समाप्त की जा रही है उन्हें कहीं और समायोजित किया जा सकता है। लाकडाउन के चलते उम्र बढ़ जाने से जो युवक नौकरी के लिए आयु सीमा से बाहर हो गये हैं उन्हें किसी अन्य काम में लगाया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *