नई दिल्ली। त्वचा और मुंह के कैंसर सहित त्वचा संबंधी रोगों के इलाज के लिए एम्स में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया जाएगा। इलाज को बेहतर बनाने के साथ सटीकता को बनाए रखने के लिए एम्स और स्टार्टअप फर्म न्यूरिथम लैब के साथ स्मार्टफोन एप लांच किया गया है।एप के माध्यम से तस्वीर लेकर डॉक्टरों को मरीजों का इलाज करने और रोग को समझने में मदद मिलेगी। डॉक्टरों का दावा है कि ग्रामीण इलाकों में एप का सबसे अधिक फायदा हो सकता है। एम्स के त्वचा विज्ञान विभाग में प्रोफेसर डॉ. सोमेश गुप्ता के अनुसार त्वचा रोग के इलाज के लिए डर्माएड द्वारा मोबाइल एप एक विशेष तकनीक मशीन-लर्निंग एआई-संचालित एल्गोरिदम का उपयोग करता है। इसमें त्वचा की फोटो के लिए कैमरे का भी इस्तेमाल किया जाता है। एप के माध्यम से सामान्य डॉक्टरों को त्वचा रोग के बारे में बेहतर जानकारी भी मिल सकेगी।
उन्होंने कहा कि कई शोध से पता चला है कि त्वचा विशेषज्ञों की तुलना में सामान्य डॉक्टरों के बीच इलाज को लेकर 40 से 50 फीसदी ही सही इलाज हो पाता है। उन्होंने एप के बारे में में कहा कि एप के पीछे की तकनीक सरल है। इसमें एक डॉक्टर मरीज के शरीर पर घावों की तस्वीर लेगा और उन्हें क्लाउड सर्वर पर अपलोड करेगा। 15-30 सेकंड के अंदर एप मशीन विश्लेषण के आधार पर रोग की स्थिति बता देगा। उनहोंने कहा कि देश में बड़े स्तर पर त्वचीय संक्रमणों को देख रहा है, जो एक्जिमा सूजन त्वचा रोगों जैसा भ्रामक होता है। इसका स्टेरॉयड के साथ इलाज किया जाता है।
एप के माध्यम से फंगल संक्रमण में स्टेरॉयड क्रीम और इलाज के बेकार तरीकों की समस्या से निपटने में मदद मिलने की संभावना है। डर्माएड द्वारा अभी तक 50 से अधिक त्वचा रोगों की पहचान की जा सकती है। इसमें डॉक्टरों द्वारा देखे जाने वाले सबसे आम मामले हैं, हालांकि इस वर्ष के अंत तक यह संख्या और बढ़ेगी। डॉ. गुप्ता ने कहा कि एप 80 फीसदी सटीकता के साथ मुंहासे, सोरायसिस, विटिलिगो, पुरुष खालित्य, टिनिया, एक्जिमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, बेसल सेल कार्सिनोमा और मेलेनोमा जैसे विभिन्न प्रकार के त्वचा कैंसर को पता लगा सकता है। उन्होंने कहा कि त्वचा रोग वैश्विक स्तर पर चौथा प्रमुख गैर-घातक रोग है।