बलिया। बलिया में प्रवचन करते हुए श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि अपने लिए सुख की इच्छा करना ही दुख का कारण है। जितना ही हम सुख सुविधा में रहना चाहेंगे, उतना ही संसार में परेशानियां पैदा होगी और उतना ही कष्ट होगा। इसलिए सुख पाने के लिए अपने सुख की इच्छा का त्याग करना चाहिए।
सुख की इच्छा आशा और भोग तीनों संपूर्ण दुखों के कारण हैं। ऐसा होना चाहिए ऐसा नहीं होना चाहिए, इसी में सब दुख भरे हुए हैं। मन में किसी वस्तु की चाह रखना ही दरिद्रता है। लेने की इच्छा वाला सदा दरिद्र ही रहता है। मनुष्य को कर्मों का त्याग नहीं करना है, बल्कि कामना का त्याग करना है। मनुष्य को वस्तु गुलाम नहीं बनाती, उसको इच्छा गुलाम बनाती है।
यदि शांति चाहते हो तो कामना का त्याग करो। कुछ भी लेने की इच्छा भयंकर दुख देने वाली है। जिसके भीतर इच्छा है, उसको किसी न किसी के पराधीन होना ही पड़ेगा। अपने लिए सुख चाहना राक्षसी वृति है। संग्रह की इच्छा पाप करने के सिवाय और कुछ नहीं कराती।
अतः इस इच्छा का त्याग कर देना चाहिए। कामना का त्याग कर दें, तो आवश्यक बस्तुएं स्वतः प्राप्त होंगी। क्योंकि निष्काम पुरुष के पास आने के लिए वस्तुएं लालायित रहती है। जो अपने सुख के लिए वस्तुओं की इच्छा करता है, उसको वस्तुओं के अभाव का दुख भोगना ही पड़ेगा।