हेल्थ। बारिश के मौसम में लोग खाने-पीने को लेकर अलर्ट रहते हैं। घर-परिवार में भी कहा जाता है कि मौसम बदल रहा है इसलिए ये चीजें न खाएं। भारतीय परंपरा में ही है कि अलग-अलग सीजन के लिए डाइट भी उसके अनुरूप होती है। बारिश के दौरान जिन खानों पर बंदिश है उनमें एक दही भी है।
यह धारणा है कि बरसात के मौसम में दही नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे हमारी सेहत बिगड़ती है। इससे जुड़े मिथ कितने सही हैं इस पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि दही ठंडी होती है। बरसात के मौसम में मॉश्चर अधिक होता है। ऐसे में दही खाने से कफ बनता है। इसलिए पारंपरिक रूप से दही खाने से परहेज किया जाता है।
लेकिन साइंटिफिक रूप से दही का सेवन किसी भी सीजन में किया जा सकता है। हालांकि इसकी मात्रा सीजन के हिसाब से हो सकती है। या जिन्हें ठंड से एलर्जी है वो दही खाने से परहेज कर सकते हैं। सामान्य रूप से दही पोषक तत्वों से भरपूर है। यह लो कैलोरी वाला खाद्य पदार्थ है जिसमें विटामिन, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में मिलता है।
दही में अच्छे बैक्टीरिया यानी प्रोबायोटिक्स होते हैं जो हमारे गट को मजबूत बनाता है। इससे पाचन तंत्र बेहतर होता है। पेट में गैस कम करने, डायरिया से बचाने, ब्लोटिंग कम करने में मदद करता है। इसलिए बरसात के मौसम में भी लंच से पहले एक कप दही जरूर खायी जा सकती है।
एक मिथ यह भी है कि, रात में दही नहीं खाना चाहिए। मेडिकल साइंस भी इसकी पुष्टि करता है। चूंकि दही में पानी की मात्रा अधिक होती है इसलिए रात की जगह दिन में ही इसे खाना चाहिए। सीधे दही खाने की जगह रायता के रूप में खाया जा सकता है।
आयुर्वेद में बरसात के मौसम में दही खाने को वर्जित बताया गया है। आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि बरसात के शुरुआती दौर में दही खाई जाती है। जैसे सावन में दही की थोड़ी मात्रा ली जाती है लेकिन भादो मास में दही पूरी तरह वर्जित होती है। केवल दही ही नहीं, दही से बनी छाछ का भी उपयोग नहीं करना चाहिए। चूंकि बरसात में दही खाने से वात और पित्त बढ़ता है। इसलिए हमारी सेहत को यह सूट नहीं करता।