नई दिल्ली। संसद भवन के केन्द्रीय हाल में सोमवार को देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमना ने द्रौपदी मुर्मू को 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले सम्बोधन में नए राष्ट्रपति ने गरीबों का भावपूर्ण स्मरण किया और कहा कि स्वतंत्र भारत में जन्मी मैं पहली राष्ट्रपति हूं और मेरे निर्वाचन में गरीबों का आशीर्वाद शामिल है। मैं जनजातीय समाज से हूं और वार्ड कौंसिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का मुझे अवसर मिला है।
यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है। यह हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है बल्कि यह प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।
उनका यह भी कहना महत्वपूर्ण है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वह गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझमें अपना प्रतिबिम्ब देख रहे हैं। मेरे निर्वाचन में गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है। मेरे इस निर्वाचन में पुरानी लीक से हट कर नए रास्ते पर चलने वाले भारत के आज के युवाओं का साहस भी शामिल है।
ऐसे प्रगतिशील भारत का नेतृत्व करते हुए आज मैं स्वयं गौरवान्वित महसूस करती हूं। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने सम्बोधन में अनेक महत्वपूर्ण विषयों को भी रेखांकित किया और कारगिल विजय की अग्रिम शुभकामनाएं भी दी। यह सत्य है कि राष्ट्रपति पद पर पहुंचकर उन्होंने बहुआयामी इतिहास रचा है। संविधान की रक्षा के साथ गरीबी चुनौतियों से निबटना भी उनके लिए आवश्यक है, क्योंकि उन्होंने गरीबी को देखा और उसे जिया है। यह बड़ा अभिशाप है जिससे देश को मुक्त करने की जरूरत है।