चेन्नई। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सुरक्षा के प्रति मद्रास हाईकोर्ट ने बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। यह महिलाओं के लिए जहां सुरक्षा कवच का काम करेगा, वहीं पत्नी पर जुल्म ढाने वाले पति को घर से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकेगा। मद्रास हाईकोर्ट ने घरेलू विवाद से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए पति को लेकर सख्त टिप्पणी की है।
कोर्ट ने कहा है कि आरोपी पति हिंसा और गाली- गलौज से बाज नहीं आ रहा है तो घरेलू शान्ति बहाल करने के लिए उसे घरसे बाहर निकाला जा सकता है। पति यह भले ही कहे कि उसके पास रहने का दूसरा घर या विकल्प नहीं है और ऐसे मामलों में वह आदतन हो तो उसे घर से बेदखल किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति आर. एन. मंजुला ने कहा है कि अदालतों को उन महिलाओं के प्रति उदासीन नहीं होना चाहिए जो घर में पति की मौजूदगी भर से डरती हैं। घरेलू हिंसा के मामलों में महिलाओं की सुरक्षाके लिए दिए जाने वाले आदेश भी व्यावहारिक होने चाहिए। यह पहला अवसर है जब इस तरह का निर्णय सुनाया गया है।
इससे घरेलू हिंसा पर लगाम लगेगी और यह महिला सशक्तीकरण को दिशा में कारगर साबित हो सकता है। यह देश के लिए जहां एक नजीर है, वहीं पत्नी का उत्पीड़न करने वाले पतियों के लिए सख्त सन्देश भी है लेकिन पत्नियों को भी इसका प्रयोग न्यायसंगत करना होगा, तभी इसका लाभ उन तक पहुंच सकता है जो न्यायालय के दरवाजे तक भी नहीं पहुंच पाती हैं।
घरेलू हिंसा समाज के लिए अभिशाप है। पुरुष और स्त्री को हमारे संविधान में समान अवसर प्राप्त है। ऐसे में पितृ सत्ता का वर्चस्व देश को तरक्की में बाधक है। स्त्री और पुरुष को एक-दूसरे का सम्मान कर परिवार को संस्कारवान बनाना चाहिए, न कि घर की अशान्ति का कारण बनना चाहिए। एक दूसरे के विचारों को समझने और समझदारी दिखाने से बहुत सी समस्याओं का समाधान हो सकता है।