जानिए क्यों मनाते हैं नरक चतुर्दशी?

धर्म। पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी दिवाली के एक दिन पहले मनाई जाती है। लेकिन इस बार नरक चतुर्दशी और दीवाली एक ही दिन मनाई जाएगी। इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा नरका पूजा के नामों से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।

रूप चौदस के दिन संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है। नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध करके देवताओं और ऋषियों को उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई थी। आइए जानते हैं इस साल नरक चतुर्दशी कब है-

तिथि और शुभ मुहूर्त:-
पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 03 मिनट से हो रही है। वहीं चतुर्दशी तिथि का समापन 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार नरक चतुर्दशी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

पूजा विधि:-

  • नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें।
  • नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और विष्णु जी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है।
  • घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित करके विधि पूर्वक पूजन करें।
  • देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रो का जाप करें।

क्या है मान्यता ?
ऐसी मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यमदेव की पूजा करने अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। साथ ही सभी पापों का नाश होता है, इसलिए शाम के समय यमदेव की पूजा करें और घर के दरवाजे के दोनों तरफ दीप जरूर जलाएं।

 

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