महाराज परीक्षित ने अपने भाग्य की सराहना: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि मानव शरीर से विशेषतः मरणासन्न व्यक्ति को क्या करना चाहिये? शुकताल में श्री शुकदेव जी व्यास आसन पर विराजमान हो गये। विधिपूर्वक महाराज परीक्षित ने उनका पूजन किया,अपने भाग्य की सराहना की, ऐसे महापुरुषों का चिंतन हो जाये तो भी जीव का कल्याण हो जाये, फिर दर्शन हो जाये, चरण स्पर्श जाये और कुछ सुनने को मिल जाये, फिर तो कहना ही क्या है? परीक्षित ने कहा, भगवन! मेरे दो प्रश्न हैं, एक प्रश्न यह है कि जिसे मनुष्य का शरीर मिला, उसे क्या करना चाहिये? दूसरा प्रश्न यह है कि जिसकी मृत्यु समीप आ गई, वृद्धावस्था आ गई है, या मृत्यु के संकेत मिल चुके हैं, ऐसे व्यक्ति को क्या जपना चाहिये और अन्ततः उसके लिए क्या कल्याणकारी है? श्री शुकदेव जी ने कहा, वरियानेष ते प्रश्नः। इसी दो प्रश्न के उत्तर में श्री शुकदेव जी ने संपूर्ण भागवत सुनाया। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम,श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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