पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि पूतना पहुंच गई भगवान् के पालने के पास। सोने का पालना, पालने को झूलाती बैठ गई। यशोदा को देख कर बोली, तुमने लाला को जन्म दिया है, तुम्हें बधाई हो। बच्चे को ऐसे दूध पिलाना चाहिए, ऐसे गोद में लिटाना चाहिए और ऐसे हाथ नीचे लगाओ, ऐसे नीचे और इस प्रकार दूध पिलाना चाहिये। अभिनय करते-करते उसने भगवान को दूध पिलाना शुरू कर दिया और जड़ में जहर लगाकर आई थी, उस तीख् जहर से उसने कितने बच्चों को मार दिया था। भगवान् ने पूतना को पकड़ लिया और दूध पीना शुरू दिया। संत महापुरुष कहते हैं कि पूतना बड़ी भाग्यशाली है जिसने भगवान को गोंद में लिया हुआ है। गटर का पानी तब तक गटर का कहलाता है जब तक वह श्री गंगा जी में नहीं मिला, श्री गंगा जी में मिलकर गटर का पानी भी गंगा जल बन जाता है। पूतना भाग्यशाली है जो भगवान् को दूध पिला रही है। अब भगवान दूध पी रहे हैं, पूरे एक प्रदेश का राज्य ले लूंगी। भगवान् ने सोचा कि तू क्या प्रदेश का राज्य लेती है, मैं तुम्हें बैकुंठ का राज्य दे देता हूं। और जब भगवान् प्राण खींचने लगे तो पूतना चीखने लगी, छोड़ दे छोड़ दे मुझे। भगवान् ने कहा मैं जिसे एक बार पकड़ लूं उसे छोड़ा नहीं करता। मेरा काम पकड़ने का है, छोड़ने का नहीं। जिसका हाथ पकड़ लिया, उसका बेड़ा पार कर दिया। ऊपर गई, नीचे आई, कितनी बार गिरी लेकिन तब तक भगवान ने उसे नहीं छोड़ा जब तक उसके प्राण नहीं ले लिये। पूतना के प्राण निकले और आकाश से फूलों की बरसात होने लगी, देवता बाजे बजाने लगे, जय-जयकार करने लगे। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।