नई दिल्ली। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि 6 दिसंबर को मनाई जाती है। अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में हुआ था। बाबा साहेब का बचपन आर्थिक और सामाजिक भेदभाव के बीच गुजरा। जब वह स्कूल में थे, तो उन्हें छुआछूत और जाति-पाति का भेदभाव झेलना पड़ा। हालांकि विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए अंबेडकर ने अपनी शिक्षा को पूरा किया और काबिलियत एवं मेहनत के बल पर 32 डिग्री हासिल की। उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल की। छुआछूत और सामाजिक भेदभाव का अंत करने के लिए उन्होंने दलित समाज के उत्थान का निर्णय लिया और इस दिशा में कार्य करना शुरू किया। बाद में बाबा साहेब संविधान सभा के अध्यक्ष बने। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर हर युवा के लिए एक मिसाल बन चुके हैं। बाबा साहेब ने अपना पूरा जीवन देश के नाम अर्पित कर दिया था। उनके अनमोल विचार प्रेरणा बनकर जीवन संघर्ष के लिए सभी को प्रोत्साहित करते हैं। तो आइए जानते हैं बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के अनमोल विचार।
-अपने भाग्य के बजाए अपनी मजबूती पर विश्वास करो।
-यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा।
-जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिए बेईमानी है।
-मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है
-मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।”
-वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं।
-शिक्षित बनो, संगठित रहो और उत्तेजित बनो।
-धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए।
-मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं।
-एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है।
– समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।
-बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।